29+ Best Moral Stories in Hindi for Kids | बच्चों के लिए हिंदी नैतिक कहानियां


Moral Stories in Hindi for Kids: Hello friends, how are you? Today I am sharing the top 29+ moral stories in Hindi for kids. These short moral stories in Hindi are very valuable and give very good morals.

आज के इस आर्टिकल मे, मै आप के साथ best 29+ moral short stories in hindi for kids share कर रहा हूँ। ये हिंदी नैतिक कहानियाँ बच्चों के लिए बहुत ही उपयोगी होगी। ये सभी कहानियों के अंत मे नैतिक शिक्षा दी गयी हैं। जो बच्चों को लोगों और दुनिया को समझने मे बहुत मदद करेगी।

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आईये इन top 29 Moral Stories in Hindi for kids को पढ़ते हैं।

Top 29 Short Animals Stories in Hindi for Kids


Best Moral Stories in Hindi for Kids


1. नमक का का व्यापारी और गधा - Moral Stories in Hindi for Kids


नमक के एक व्यापारी के पास एक गधा था। वह व्यापारी रोज सुबह अपने गधे पर नमक की बोरियाँ लादकर आस पास के गाँवो मे नमक बेचने ले जाया करता था।

आसपास के गाँवो में जाने के लिए उसे कई नाले और छोटी-छोटी नदियाँ पार करनी पड़ती थीं। एक दिन नदी पार करते समय गधा अचानक पानी में गिर पड़ा इससे गधे के शरीर पर लदा हुआ ढेर-सारा नमक पानी में घुल गया अब गधे का बोझ काफी हल्का हो गया। उस दिन गधे को अच्छा आराम मिल गया।

दूसरे दिन वह व्यापारी रोज की तरह गधे पर नमक की बोरियाँ लाद कर नमक बेचने निकला। उस दिन पहले नाले को पार करते समय गधा जानबूझ कर पानी मे बैठ गया।

उसकी पीठ का बोझ फिर हल्का हो गया। व्यापारी उस दिन भी गधे को लेकर वापस लौट आया। पर नमक के व्यापारी के ध्यान मे आ गया कि आज गधा जानबूझकर पानी मे बैठ गया था। उसे गधे पर बहुत गुस्सा आया। इसलिए डंडे से उसने गधे की खूब पिटाई की। उसने कहा, “मूर्ख प्राणी, तू मुझसे चालाकी करता है। मैं तुझे सबक सिखाए बिना नही रहूगाँ।“ अगले दिन व्यापारी ने गधे पर रूई के बोरे लादे गधे ने फिर वही तरकीब आजमाने की कोशिश की, नाला आते ही वह पानी मे बैठ गया। इस बार उल्टा ही हुआ। रूई के बोरो ने खूब पानी सोखा और गधे की पीठ का बोझ पहले से कई गुना बढ़ गया। पानी से बाहर आने मे गधे को खूब मेहनत करनी पड़ी। उस दिन के बाद से गधे ने पानी मे बैठने की आदत छोंड दी।

Moral of this hindi kids story:

शिक्षा - मूर्ख सबक सिखाने से ही काबू में आते है।

2. मकड़ी की सीख - Moral Stories in Hindi for Kids


एक बार दो राजाओ के बीच युद्ध छिड़ गया। उनमें से एक राजा पराजित हो गया। वह जंगल की ओर भाग गया। उसने एक गुफा में शरण ली। विजयी राजा ने उसका पीछा करने के सैनिक भेजे। वह उसे जान से मार डालना चाहता था। पराजित राजा बहुत बहादुरी से लड़ा था। पर उसकी सेना थोड़ी थी। शत्रु की विशाल सेना ने उसकी छोटी सी सेना को हरा दिया था। मजबूर होकर अपनी जान बचाने के लिए उसे जंगल मे भागना पड़ा। वह बहुत दुःखी हो गया और हिम्मत हार बैठा।

एक दिन उदास होकर राजा गुफा मे लेटा हुआ था। तभी उसका ध्यान एक छोटी-सी मकड़ी की ओर गया। वह गुफा की छत के एक कोने मे जाला बुनने का प्रयत्न कर रही थी। वह सरपट दीवार पर चढ़ती। बीच में जाले का कोई धाागा टूटता और वह जमीन पर आ गिरती। बार-बार यही होता रहा पर मकड़ी हिम्मत नहीं हारी। वह बार-बार प्रयास करती रही। आखिरकार जाला बुनते-बुनते वह छत तक पहुँचने मे सफल हो गयी। उसने पूरा जाला बुन-कर तैयार कर दिया। राजा ने सोचा, “यह रेंगनेवाली नन्ही-सी मकड़ी बार-बार असफल होती रही, लेकिन इसने प्रयास करना नही छोड़ा। मैं तो राजा हूँ। फिर मैं प्रयास करना क्यों छोड़ दूँ। मुझे फिर से प्रयत्न करना चाहिए।“ उसने दुश्मन से एक बार फिर युद्ध करने का निश्चय किया।

राजा जंगल से बाहर निकलकर अपने विश्वासपात्र सहयोगियों से मिला। उसने अपने राज्य के शूर-वीरो को एकत्र किया। और शक्तिशाली सेना खड़ी की। उसने पूरी ताकत से दुश्मन पर चढ़ाई कर दी।

वह वीरता पूर्वक लड़ा। आखिरकार उसकी विजय हुई। उसे अपना राज्य वापस मिल गया। राजा उस मकड़ी को जिंदगी भर नही भूल सका, जिसने उसे सदा प्रयास करते रहने का सबक सिखाया था।

Hindi Kids Story Moral: 

शिक्षा - असफलताओ से जूझनेवालों को एक दिन सफलता अवश्य मिलती है।

दोस्तों अभी तक आप Top 29 Hindi Moral Stories for kids की 2 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 3rd Moral Stories in Hindi for kids.

3. वफादार नेवला - Moral Stories in Hindi for Kids


रामदास और सावित्री पति-पत्नी थे। उनके एक पुत्र था। उसका नाम महेश था। उन्होनें अपने घर मे एक नेवला पाल रखा था। महेश और नेवला एक-दूसरे से हिल मिल गए थे दोनो पक्के मित्र।

एक दिन रामदास अपने खेत गया था। सावित्री भी किसी काम से बाहर गई थी। महेश पालने में गहरी नींद में सो रहा था। नेवला पालने के पास बैठ कर उसकी रखवाली कर रहा था।

एकाएक नेवले की नजर साँप पर पड़ी वह महेश के पालने की तरफ सरपट आ रहा था।

नेवले ने उछलकर साँप की गर्दन दबोच ली फिर तो साँप और नेवले में जमकर लड़ाई हुई। अंत में नेवले ने साँप को मार डाला।

थोड़ी देर में नेवले ने सावित्री को आते देखा। मालकिन का स्वागत करने के लिए वह दौड़कर दरवाजे पर जा पहुँचा। सावित्री नेवले के खून से सने मुँह को देख कर चकित रह गयी। उसे शंका हुई कि नेवले ने उसके बेटे को मार डाला। वह गुस्से से पागल हो गई। उसने बरामदे में पड़ा हुआ डंडा उठाया। और जोर से नेवले को इतना मारा कि नेवला तुंरत मर गया। 

इसके बाद दौड़ती हुई अंदर के कमरे में गई महेश को सुरझित देख कर बड़ी खुशी हुई। उसकी नजर मरे हुए साँप पर पड़ी उसे अपनी गलती समझते देर नही लगी। वह विलाप करने लगी जिस विश्वाशपात्र नेवले ने उसके बेटे की जान बचाई थी, उसी को उसने मार डाला था। उसे अपार दुःख हुआ। मगर अब पश्चाताप करने से कोई फायदा नहीं था।

Hindi stories for kids moral:

शिक्षा - बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय।

4. डरपोक घोड़ा - Hindi Stories for Kids with Moral


एक बार एक घोड़ा एक आदमी के पास आया और कहने लगा, भ्ई, मेरी मदद करो। जंगल मे एक बाघ आ गया है। वह मुझे मार डालना चाहता है। आदमी ने कहा, "अरे मित्र चिंता मत करो! वह बाघ तुम्हारा कुछ नही बिगाड़ सकता। बाघ से मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा।

घोड़े ने कहा, मैं आपका बहुत अभारी रहूँगा। आदमी ने कहा, "पर तुम्हे एक बात का ध्यान रखना पडे़गा। मैं जैसा कहूँ तुम्हे वैसा ही करना होगा।"

घोडे़ ने कहा, "मुझे क्या करना होगा।"

आदमी ने कहा, "तुम्हे अपनी पीठ पर काठी और मुँह में लगाम डालने की अनुमति देनी होगी।" घोडे़ ने कहा, "तुम जो चाहो, सो करो। पर कृपा करके मुझे उस बाघ से बचाओ।" आदमी ने घोडे़ की पीठ पर काठी कसी। उसने उसके मुँह में लगाम लगाई। इसके बाद वह घोडे़ पर सवार हुआ दौड़ाते हुए अस्तबल मे ले आया। आदमी ने घोड़े को बाँधते हुए कहा, "अब तुम इस अस्तबल में एकदम सुरझित हो। जब मैं तुम्हे बाहर ले जाऊगाँ, तब मैं तुम्हारी पीठ पर सवार रहूँगा। मैं तुम्हारे साथ रहूगाँ। बाघ तुम्हारा कुछ नही बिगाड़ सकेगा। इसके बाद आदमी ने अस्तबल का दरवाजा बंद किया और चला गया।

अब घोड़ा अस्तबल में कैद हो गया। उसने मन ही मन सोचा मैं यहाँ सुरझित जरूर हूँ। पर स्वतंत्र नही मैंने सुरक्षा प्राप्त की पर अपनी आजादी गवाँ दी। यह तो बहुत बुरा सौदा हुआ। पर अब मैं मजबूर हूँ।

Moral of this hindi kids story:

शिक्षा :- स्वतंत्रता की कीमत पर सुरक्षा किस काम की।

5. चंडूल और किसान - Moral Stories in Hindi for Kids


मक्का के खेत में चंडूल चिडि़या ने अपना घोंसला बनाया था। वह अपने बच्चो के साथ उस घोंसले में रहती थी। मक्के की फसल तैयार होने और कटने तक उनका घोंसला सुरक्षित था।

एक दिन चंडूल ने अपने बच्चो से कहा, “अब फसल तैयार हो गयी है और कटनेवाली है। इस लिए हमें कहीं और घोंसला बना लेना चाहिए।" दूसरे दिन किसान खेत में आया। उसने किसी से बातचीत करते हुए कहा,"कल में अपने रिश्तेदारों को बुलाकर फसल की कटाई करूँगा।"

किसान की यह बात चंडूल और उसके बच्चो ने सुनी बच्चो ने कहा, "माँ जल्दी कर कल सूर्य अस्त होने से पहले हमें यह घोंसला छोड़ देना चाहिए किसान कल फसल की कटाई करने वाला है।" माँ ने कहा, "घबराने की बात नही कल वह फसल की कटाई शुरू ही नही कर सकता।"

दूसरे दिन किसान खेत पर आया। उसका कोई भी रिश्तेदार उसकी मदद करने नही पहुँचा था। इसलिए वह खाली हाथ वापस चला गया। जाते जाते उसने कहा कल में अपने पड़ोसियो को बुलाकर लाऊँगा और फसल की कटाई जरूर करूँगा। चूंडल के बच्चो ने फिर अपनी माँ से कहा, "माँ जल्दी कर अब हमें घोंसला छोड़ देना चाहिए पर माँ ने जवाब दिया, रूको! अभी घोंसला छोड़ने की जरूरत नही है।

अगले दिन ठीक वही हुआ, जैसा चंडूल ने सोचा था। किसान का कोई भी पड़ोसी उसकी मदद करने नही पहुँचा। मगर इस बार किसान ने कहा, अब दूसरों के भरोसे बैठे रहने से काम नही चलेगा। कल मैं खुद फसल की कटाई करूँगा।

यह सुनकर चंडूल ने अपने बच्चो से कहा, अब हमें तुरंत इस घोंसले को छोड़ देना चाहिए, क्योंकि कल किसान जरूर फसल की कटाई करेगा।

Moral of this hindi story:

शिक्षा - अपना काम अपने ही भरोसे होता है ।

दोस्तों अभी तक आप Top 29 Moral Stories in Hndi for Kids की 5 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 6th Moral Stories in Hindi for kids.

6. लालची बंटी - Best Moral Stories in Hindi for Kids


बंटी नाम का एक प्यारा लड़का था। उसे टाफियाँ बहुत पसंद थी। एक दिन वह अपनी माँ के साथ अपनी मौसी के घर गया। मौसी बंटी की आदत से परचित थी। इसलिए वह टाफियों से भरा मर्तबान ही उसके लिये खरीद लाईं थीं ।

मौसी ने अलमारी से टाफियों का मर्तबान निकाल कर बंटी के सामने रख दिया। बंटी इतनी सारी टाफियाँ देखकर पुलकित हो गया। मौसी ने कहा, बंटी जितनी सारी टाफियाँ चाहिए ले लो। बंटी ने झटपट मर्तबान का ढक्कन खोलकर हाथ भीतर डाल दिया। जितनी टाफियाँ मुटठी में समा सकती थीं, उसने उतनी टाफियाँ मुटठी में भर लीं।

मर्तबान का मुँह बहुत छोटा था। टाफियों से भरी मुटठी मर्तबान के मुँह से बड़ी हो गयी। इस लिए बंटी का हाथ बाहर नही आ रहा था। उसने बहुत कोशिश की अपने दूसरे हाथ से मर्तबान को आगे पीछे बढ़ाया। उसे तेजी से गोल-गोल घुमाया। पर उसका हाथ बाहर नही निकला।

बंटी की परेशानी देख माँ ने कहा, बेटे! अक्ल से काम लो अपनी मुटठी खोलकर कुछ टाफियाँ गिरा दो फिर तुम्हारा हाथ आसानी से निकल आएगा। बंटी ने वैसा ही किया। उसका हाथ आराम से बाहर निकल आया ।

Hindi kids story moral:

शिक्षा - पेटू बनना अच्छा नही।

7. चतुर ज्योतिषी - Moral Stories for Kids in Hindi


एक सम्राट था। एक बार उसने प्रसिद्ध ज्योतिषी को अपने दरबार में बुलाया। ज्योतिषी अचूक भविष्यवाणी करने के लिए मशहूर था। सम्राट ने बड़े सम्मान से उसका स्वागत किया और उसे ऊँचे आसन पर बिठाया।

फिर सम्राट ने उसे जन्म कुंडली दी और कहा, "पंडितजी, कृपया मेरी जन्म-कुडंली पढ़कर मेरा भविष्य बताइए।"

ज्योतिषी ने बड़ी सवधानी से सम्राट की कुंडली का अध्यन किया। फिर उसने कहा, "महाराज आपके गृह आपका भविष्य बता रहे है, वही मैं आपको बताऊँगा। मै काल्पनिक कहानियाँ नही कहता।"

सम्राट ने कहा," समझ गया आप क्या कहना चाहते ह है। आप निर्भीक होकर मेरा भविष्य बताइए।"

ज्योतिषी ने सम्राट के बारे मे अच्छी अच्छी बातें बताना शुरू किया राजा का चेहरा आनंद से खिल उठा।

भविष्य के बारे मे अच्छी-अच्छी बातें सुनकर उसे बहुत खुशी हुई।
फिर ज्योतिषी ने राजा की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओ के बारे मे बताना शुरू किया। इन बातो को सुनकर राजा बहुत दुःखी हुआ। एक बार तो उसके मन मे इतनी ठेस लगी कि उसने गुस्से मे आकर कहा, "बंद करो अपनी ये वाहियात बातें! अब मुझे सिर्फ यह बताओ कि तुम्हारे ग्रहों की सूचना के अनुसार तुम्हारी मौत कब होने वाली है?"

चतुर ज्योतिषी समझ गया कि सम्राट का आशय क्या है। उसने जवाब दिया," महाराज मेरी मृत्यु आपकी मृत्यु के एक दिन पहले होने वाली है।" सम्राट बहुत गुस्से मे था। वह ज्योतिषी को मृत्युदंड देने वाला था। पर उसने ज्योतिषी के मुख से अपनी मौत की भविष्यवाणी सुनकर अपना इरादा बदल दिया। उसका गुस्सा शांत हो गया। सम्राट ने ज्योतिषी के बुधिमत्तापूर्ण उत्तर की बहुत सराहना की। उसने ज्योतिषी को मूल्यवान उपहार दिए और उसे सम्मान पूर्वक विदा किया ।

8. राजा सोलोमन और शिबा रानी - Moral Stories for Kids in Hindi 


राजा सोलोमन अपने ज्ञान के लिए जाना जाता था। शिबा की रानी उसके ज्ञान की परिक्षा लेना चाहती थी। एक दिन वह अपने दोनो हाथो में फूलो के दो हार लेकर राजा सोलोमन के दरबार में आई।

दोनो हार देखने में एक जैसे थे। पर उनमे एक हार असली फूलो का था। और दूसरा कागज का था। उसने राजा से कहा, "हे राजन!यह बताएं कि असली फूलो का हार कौन सा है? और नकली फूलो का हार कौन सा है? आपको सिंहासन पर बैठे बैठे इस बात का निर्णय करना है।" 

राजा ने दोनो हारो को बडे़ ध्यान से देखा। दोनो एक जैसे दिखाई दे रहे थे। सिर्फ दूर से देखना असली नकली का निर्णय करना मुश्किल था। राजा सोच में पड़ गया आखिर उसे एक तरकीब सूझी। उसके राजमहल के एक ओर हरी भरी फुलवारी थी। उसने अपने एक सेवक को आदेश दिया, "वह बगीचे की ओर वाली खिड़की खोल दो।" 

खिड़की खुलते ही कुछ मधुमक्खिया अंदर आई। वे रानी के दाॅय हाथ पर मडराने लगी। यह देखते हुए राजा ने कहा, "रानी साहिबा मेरे बगीचे की मक्खियो ने आपके सवाल का जवाब दे दिया। आपके दाहिने हाथ का हार असली फूलो का बना है।" रानी ने आदरपूर्वक राजा का अभिवादन किया। राजन आपने सही उत्तर दिया। मेरे दाहिने हाथ का हार ही असली फूलो का बना है। आप सचमुच बहुत ज्ञानी है।

Short stories in Hindi with Moral:

शिक्षा - जहाँ आँखे निणर्य लेने में असमर्थ हो वहाँ ज्ञान से काम लेना चाहिए।

दोस्तों अभी तक आप Top 29 Hindi Moral Stories for kids की 8 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 9th Moral Stories in Hindi for kids.

9. गरीब और अमीर - Short Stories in Hindi for Kids


एक गरीब मोची और एक धनी व्यापारी, दोनो पड़ोसी थे। मोची के घर में ही जूते चप्पल सीने की छोटी सी दुकान थी। काम करते-करते वह अक्सर मौज में आकर गाने लगता। वह बहुत निश्ंिचत मस्तमौला आदमी था। उसे कभी अपने घर के दरवाजे खिड़कियाँ बंद करने की जरूरत नही महसूस हुई। वह रात को भगवान की पूजा करता और मजे से सो जाता।

अमीर आदमी इस गरीब, हँसमुख मोची की ओर ईष्र्याभरी नजर से देखा करता। गरीब होने के बावजूद उस मोची को किसी बात की चिंता नही थी। जबकि अमीर आदमी को तरह-तरह की चिंताएँ सताती रहतीं थीं। गाना-गुनगुनाने की बात तो दूर वह खुलकर हँस भी नही सकता था। उसे हमेशा अपनी तथा अपने धन की रक्षा की चिंता सताती रहती थी। रात को वह अपने मकान के सारे दरवाजे खिड़किया बंद कर लेता था। फिर भी, उसे चैन की नींद नही आती थी !

एक दिन अमीर आदमी ने मोची को अपने घर बुलाया। उसने उसे पाँच हजार रूपए दिए और कहा, "लो, ये पैसे रख लो। इन्हे अपने ही पैसे समझो। इन पैसो को मुझे लौटाने की जरूरत नही है।" इतने पैसे पाकर गरीब आदमी को पहले तो बड़ी खशी हुई पर जल्दी ही इन पैसो ने उसके शांति और निश्चिंत जीवन में खलल पैदा कर दी। पैसे पाने पर वह जीवन में पहली बार उसने अपने घर का दरवाजा और खिड़कियाँ बंद कर उनमें चटखनी लगाई। यह देखने के लिए कि पैसे सुरक्षित हैं या नही रात को कई बार उसकी नींद टूटी।

दूसरे दिन बडे़ सवेरे गरीब मोची अपने धनी पड़ोसी के घर पहुँचा। उसने व्यापारी को पाँच हजार रूपए लौटाते हुए हाथ जोड कर कहा, "सेठजी, मेहरबानी करके आप अपना यह पैसा वापस ले लीजिए। इन पैसो ने तो मेरी रात की नींद हराम कर दी। मैं हँसना गाना सब भूल गया।"

Moral of this hindi story:

शिक्षा - पैसे से हर प्रकार की खुशी नही प्राप्त की जा सकती।

10. कौवे की गिनती - Short Stories in Hindi for Kids with Moral


बादशाह अकबर अक्सर अपने दरबारियों से अनोखे प्रश्न और तरह-तरह की पहेलियाँ पूछते रहते थे।

इस तरह वे अपने दरबारियो की बुद्धि एंव हाजिरजवाबी की परीक्षा लेते रहते थे। एक बार उन्होने अपने दरबारियो से एक विचित्र प्रश्न पूछा। प्रश्न था, इस शहर में कितने कौए हैं?

उन्होने एक-एक कर सभी दरबारियों पर नजर डाली। हर दरबारी खड़ा होता और जवाब न सूझने पर अपना सर झुका लेता। कोई भी दरबारी बादशाह के सवाल का जवाब न दे सका।

इतने में बीरबल ने दरबार में प्रवेश किया। वे सभी दरबारियों से ज्यादा ज्ञानी थे। उन्होने देखा कि सभी दरबारी सिर झुकाए खड़े हैं। वे फौरन समझ गए कि बादशाह ने जरूर कोई जटिल समस्या रखी है।
जिसे कोई दरबारी हल नही कर सका है।

बीरबल ने बादशाह का शिष्टतापूर्वक बादशाह का अभिवादन किया और अपने आसन पर बैठ गए। बादशाह ने उनसे पूछा, "बीरबल, तुम बताओ इस शहर में कितने कौए हैं?" हाजिर जवाब बीरबल फौरन खड़े हो गए। उन्होने जवाब दिया,"हुजूर इस शहर में कुल पचास हजार तीन सौ अठहत्तर कौए हैं"

"मगर, यह बात तुम इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकते हो बीरबल?" बादशाह ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा।

बीरबल ने जवाब दिया, "हुजूर यदि आपको इसमें संदेह हो तो गिनवा कर देख लीजिए। अगर वे पचास हजार तीन सौ अठहत्तर से ज्यादा हैं तो इसका मतलब बाहर से कौए अपने मित्रांे रिश्तेदारों से मिलने आए हैं। अगर कम हैं, तो वे अपने रिश्तेदारो से मिलने बाहर गए हैं।"

बदशाह, बीरबल की हाजिरजवाबी से बहुत खुश हुए उन्होने कहा, शाबाश बीरबल, तुम सचमुच लाजवाब हो।

Short story for kids with moral:

शिक्षा - जैसा सवाल वैसा जवाब।. तो त्याचा नेम चुकवतो आणि लांडगे पळून जातात.

11. पीपहरी वाला और गांव के लोग - Kids Stories in Hindi with Moral


एक गाँव मे हजारो चूहे थे। गाँव मे ऐसी कोई जगह नही थी जहाँ चूहे ना हो। ये चूहे ढे़रो अनाज खा जाते थे। घर का समान कपड़े कागज पत्र सब कुछ वे कुतर डालते थे। चूहो के कारण गाँव के लोगो को काफी नुकसान उठाना पड़ता था। वे किसी तरह चूहो से छुटकारा पाना चाहते थे। एक दिन पिपहरीवाला उस गाँव मे आया।

उसने देखा कि गाँव के लोग चूहो से त्रस्त है। अत उसने गाँव के लोगो से कहा "मै गाँव के सारे चूहो को खत्म कर दूँगा। पर इसके लिए तुम लोगो को मुझे पाँच हजार रूपए देने होगे।" गाँववाला ने पिपहरीवाले को पाँच हजार रूपए देना मंजूर कर लिया। पिपहरीवाला मधुर स्वर मे अपनी पिपहरी बजाने लगा। पिपहरी की अवाज सुनकर सभी चूहे घरो दुकानो गोदामो तथा खेतो खलियानो से निकलकर दौड़ते हुए रास्ते पर आ गए।

वे पिपहरी की अवाज सुनकर नाचने लगे। पिपहरी बजाने वाला नदी की ओर चल पडा़। चूहे भी नाचते नाचते उसके पीछे पीछे चल पड़े। वह नदी के पानी मे उतर गया। उसके पीछे चूहे भी पानी मे कूदगए। इस तरह सारे चूहे पानी मे कूदकर मर गए।

इसके बाद पिपहरीवाला गाँव मे लौटा। उसने गाँव वालो से अपने पाच हजार रूपए माँगे। पर गाँववालो ने पैसे देने से इनकार कर दिया। पिपहरीवाले ने कहा "तुम लोग बेईमान हो, अब मै फिर से पिपहरी बजा रहा हूँ। इसबार तुमलोगो को पाँच हजार के बजाए दस हजार देने पड़ेगे।" उसने पहले से भी मधुर पिपहरी बजानी शुरू की। पिपहरी की अवाज सुनकर गाँव के सारे बच्चे रास्ते पर आ गए और मस्त होकर नाचने लगे।

पिपहरीवाला पिपहरी बजाता रहा बच्चे मस्ती मे नाचते रहे बहुत देर तक यों ही चलता रहा। गाँव के लोग न पिपहरीवाले को पिपहरी बजाने से रोक सके और न ही बच्चो को नाचने से। गाँव के लोगो को लगा कि चूहो कि तरह उनके बच्चो के भी नाचते नाचते प्राण ना निकल जाँए। उन्हे अब पिपहरीवाले को पैसे ना देने का बड़ा पछतावा हुआ।

आखिरकार गाँववालो ने पिपहरीवाले से विनती की। "ये रहे तुम्हारे दस हजार रूपए अपने पैसे लो और पिपहरी बजाना बंद करो।"

पिपहरीवाले ने पिपहरी बजाना बंद कर दिया। पैसे अपनी जेब मे डालकर वह गाँव से चल पड़ा। पिपहरी की अवाज बंद होते ही बच्चो ने नाचना बंद कर दिया। वे अपने अपने घर लौट गए। गाँव के लोगो मे खुशी की लहर दौड़ गई।

Moral story in hindi for kids:

शिक्षा -बेईमानी की सजा हमेशा बहुत भारी होती है।

दोस्तों अभी तक आप Top 29 Kids Moral Stories in Hindi की 11 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 12th Moral Stories in Hindi for kids.

12. टेढ़ा पेड़ - Moral Stories in Hindi with Moral for Kids


एक जंगल में एक अजीब टेढ़ामेढ़ा पेड़़ था। उसके तने और ड़ालियों का आकार बहुत भद्दा था। उसके आसपास के अन्य पेड़ सीधे और सुंदर आकार के थे। सुंदर आकारवाले ऊँचे-ऊँचे पेड़ों को देखकर टेढ़ा पेड़ कहता, कितने सुंदर और सीधे हैं ये पेड़! फिर उदास होकर मन-ही-मन बुदबुदाता, कितना अभागा हूँ मैं! आखिर मैं ही इतना टेढ़ामेढ़ा और भद्दा क्यों हूँ?

एक दिन एक लकड़हारा उस जंगल में आया। उसने टेढ़े पेड़़ को देखकर कहा, यह पेड़ तो मेरे किसी काम का नहीं है। उसने सुंदर आकारवाले सीधे पेड़ो को हीं पसंद किया और देखते-ही-देखते उन्हें काटकर जमीन पर गिरा दिया।

इसके बाद टेढ़े पेड़ को कभी अपने भद्देपन पर दुख नही हुआ। वास्तव में अपनें भद्देपन के कारण ही वह लकड़हारे की कुल्हाड़ी का शिकार होने से बच गया था।

शिक्षा -तुम्हारे पास जो है, उसी में खुश रहो।


13. घोड़े को सबक - Moral Stories in Hindi for Kids


एक आदमी के पास एक घोड़ा और एक गधा था। एक दिन वह इन दोनों को लेकर बाजार जा रहा था। उसने गधे की पीठ पर खूब सामान लादा था। घोड़े की पीठ पर कोई सामान नहीं था।

रास्ते में गधे ने घोड़े से कहा, भाई मेरी पीठ पर बहुत ज्यादा वजन है। थोड़ा बोझ तुम भी अपनी पीठ पर ले लो।

घोड़े ने कहा, बोझ ज्यादा हो या कम, मुझे इससे कुछ लेना-देना नहीं है। यह बोझ तुम्हारा है और इसे तुम्हें ही उठाकर चलना है। मुझसे इसके बारे में कुछ मत कहो।

यह सुनकर गधा चुप हो गया। फिर वे तीनों चुपचाप चलने लगे। थोड़ी देर बाद भारी बोझ के कारण गधे के पाँव लड़खड़ाने लगे और वह रास्ते पर गिर पड़ा। उसके मुँह से झाग निकलने लगा।

इसके बाद उस आदमी ने गधे की पीठ से सारा सामान उतार दिया।उसने यह सारा बोझ घोड़े की पीठ पर लाद दिया।

चलते-चलते घोड़ा सोचने लगा, यदि मैंने गधे का कुछ भार अपनी पीठ पर ले लिया होता, तो कितना अच्छा होता। अब मुझे सारा बोझ उठाकर बाजार तक ले जाना पड़ेगा।

शिक्षा - दूसरों के दुःख-दर्द में हाथ बँटाने से हमारा दुःख-दर्द भी कम हो जाता है।

14. भेड़िया और बांसुरी - Moral Stories in Hindi for Kids


एक भेडि़या था। एक बार वह भेड़ों के झुंड़ से एक मेमने को उठा लाया। उसे लेकर वह जंगल की ओर जा रहा था कि मेमने ने कहा,” भेडि़ए चाचा, मैं जानता हूँ कि आप मुझे खा जाओगे। पर मुझे खाने से पहले क्या आप मेरी आखिरी इच्छा पूरी करोगे?“
क्या है तेरी आखिरी इच्छा? भेडि़ए ने पूछा।

मेमने ने कहा, चाचा, मुझे पता है, आप बाँसुरी बहुत अच्छी बजाते हो। मुझे बाँसुरी की धुन बहुत अच्छी लगती है। इसलिए मुझे मारने के पहले कृपा करके बाँसुरी की धुन तो सुना दो!

भेडि़या बैठ गया और उसने बाँसुरी बजाना शुरु कर दिया। थोडी़ देर के बाद जब भेडि़ए ने बाँसुरी बजाना बंद किया तो मेमने ने उसकी तारीफ करते हुए कहा, वाह! वाह! बहुत सुंदर! चाचा आप तो उस गड़रिए से भी अच्छी बाँसुरी बजाते हो। इतनी सुरीली बाँसुरी कोई भी नहीं बजा सकता। चाचा, एक बार फिर बजाओ न!

मेमने की बातें सुनकर भेडि़या फूलकर कुप्पा हो गया। इस बार वह और जोश में आकर पहले की अपेक्षा ज्यादा ऊँचे सुर में बाँसुरी बजाने लगा।

इस बार बाँसुरी के स्वर गड़रिए और उसके शिकारी कुत्तों के कानों में पड़े। गड़रिया अपने शिकारी कुत्तों के साथ दौड़ता हुआ वहाँ आ पहुँचा। शिकारी कुत्तों नें भेडि़ए को धर दबोचा और उसका काम तमाम कर दिया। मेंमना भागता हुआ भेड़ों के झुंड़ में जा मिला।

शिक्षा - धीरज और सूझबूझ से ही हम संकट को पार कर सकते हैं।

दोस्तों अभी तक आप Top 29 Moral Stories in Hindi for Kids की 14 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 15th Moral Stories for kids in Hindi.

15. बिल्ली और लोमड़ी - Moral Stories in Hindi for Kids


एक बार एक बिल्ली और एक लोमड़ी शिकारी कुत्तों के बारे में चर्चा कर रही थीं। मुझे तो इन शिकारी कुत्तों से नफरत हो गयी है। लोमड़ी ने कहा।

मुझे भी, बिल्ली बोली। मानती हूँ कि ये बहुत तेज दौड़ते है, लोमड़ी नें कहा, पर मुझे पकड़ पाना इनके बस की बात नहीं। मैं इन कुत्तों से बचकर दूर निकल जाने के कई तरीके जानती हूँ।

कौन-कौन से तरीके जानती हो तुम? बिल्ली ने पूछा।

कई तरीके हैं, शेखी बघारते हुए लोमड़ी ने कहा, कभी मैं काँटेदार झाडि़यों में से होकर दौड़ती हूँ। कभी घनी झाडि़यों में छिप जाती हूँ। कभी किसी माँद में घुस जाती हूँ। इन कुत्तों से बचनें के अनेक तरीको में से ये तो कुछ ही हैं।

मेरे पास तो सिर्फ एक ही अच्छा तरीका हैं, बिल्ली ने कहा।
ओह! बहुत दुःख की बात है। केवल एक ही तरीका? खैर, मुझे भी तो बताओ वह तरीका? लोमड़ी ने कहा।

बताना क्या है, अब मैं उस तरीके पर अमल करनें जा रही हूँ। उधर देखो, शिकारी कुत्ते दौड़ते हुए आ रहे हैं। यह कहते हुए बिल्ली कूदकर एक पेड़ पर चढ़ गई। अब कुत्ते उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते थे।

शिकारी कुत्तों ने लोमडी़ का पीछा करना शुरु कर दिया। वह कुत्तों से बचने के लिए एक-एक कर कई तरीके आजमाती रही।फिर भी वह उनसे बच नहीं सकी। अंत में शिकारी कुत्तों ने उसे धर दबोचा और मार ड़ाला।

बिल्ली लोमड़ी पर तरस खाती हुई मन-ही-मन बोली, ओह बेचारी लोमड़ी मारी गई। इसकी अनेक तरकीबों की अपेक्षा, मेरी एक ही तरकीब कितनी अच्छी रही!

शिक्षा - अनेक तरकीबे आजमानें की बजाय एक ही सधी हुई तरकीब पर भरोसा करना चाहिए।

16. पहाड़ और चूहा - Short Moral Stories in Hindi for Kids


एक बार पहाड़ और चूहे में बहस छिड़ गई। दोनों अपनी-अपनी बहादुरी की ड़ींग हाँकने लगे।

पहाड़ ने कहा, "तुम बहुत ही असहाय और तुच्छ प्राणी हो!"

चूहे ने जवाब दिया, मुझे पता है, मैं तुम्हारे जितना बड़ा नहीं हूँ। पर एक बात है तुम भी तो मेरे जितने छोटे नहीं हो।

पहाड़ ने कहा, "इससे क्या हुआ? बड़े कद के बड़े फायदे हैं। मैं आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादलों को भी रोक सकता हूँ।"

चूहे़ ने कहा, "तुम आकाश के बादलों को जरुर रोक सकते हो। पर मैं अपनें नन्हे-नन्हे दाँतों से तुम्हारी जड़ में बड़े-बड़े बिल खोद ड़ालता हूँ। लेकिन तुम मुझे रोक नहीं सकते। बोलो, क्या रोक सकते हो?

नन्हे चूहे़ ने अपनी चतुराई से पहाड़ का मुँह बंद कर दिया।

Moral:

शिक्षा - छोटा हो या बड़ा, अपनी-अपनी जगह सब महत्वपूर्ण होते हैं।

दोस्तों अभी तक आप best moral stories in hindi for kids की 16 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 17th Moral Stories in Hindi for kids.

17. बदसूरत ऊँट - Moral Stories in Hindi with Moral for Kids


एक ऊँट था। दूसरों की निंदा करने की उसकी बुरी आदत थी। वह हमेशा दूसरे जानवरों व चिडि़यों की शक्ल-सूरत की खिल्ली उड़ाता रहता था। उसके मुँह से कभी किसी जानवर की तारीफ नही निकलती थी।

गाय से वह कहता, "जरा अपनी शक्ल तो देखो! कितनी बदसूरत हो तुम! हड्डियो का ढ़ाँचा मात्र है तुम्हारा शरीर। लगता है तुम्हारी हड्डियाँ खाल फाड़कर किसी भी क्षण बाहर निकल आएँगी।"

भैंस से वह कहता, "तुमनें तो विधाता के साथ जरुर कोई शैतानी की होगी! तभी तो उसने तुझे काली-कलूटी बनाया है। तुम्हारे टेढ़े-मेढ़े सींग तुम्हें और भी बद्सूरत बना देते है।"

हाथी को चिढ़ाता हुआ वह कहता, "तुम तो सभी जानवरों में कार्टून जैसे दिखते हो। विधाता ने मजाक के क्षणो में तुम्हे बनाया होगा। तुम्हारे शरीर के अंगों में किसी प्रकार का संतुलन नहीं है। तुम्हारा शरीर कितना विशाल है और पूँछ कितनी छोटी! तुम्हारी आँखें कितनी छोटी हैं और कान इतने बड़े सूप जैसे। तुम्हारी सूँड़, पैर और शरीर के अन्य अंगों के बारे में तो मैं बस चुप रहूँ, यही ठीक रहेगा।"

तोते से वह कहता, "तुम्हारी टेढ़ी और लाल रंग की चोंच बनाकर विधाता ने वाकई तुम्हारे साथ मजाक किया है।"

इस तरह ऊँट हमेशा हर जानवर की खिल्ली उडा़ता रहता था।

एक बार ऊँट की मुलाकात एक लोमड़ी से हो गई। वह बड़ी ही मुँहफट थी और किसी को भी खरी बात सुनानें से नही हिचकती थी। ऊँट उसके बारे में उल्टा-सीधा बोलना शुरु करे, इसके पहले ही लोमड़ी नें कहा, "अरे ऊँट, तू लोगों के बारे में उल्टी-सीधी बातें करने की अपनी गंदी आदत छोड़ दे। जरा अपनी शक्ल-सूरत तो देख। तुम्हारा लंबा चेहरा, पत्थर जैसी तुम्हारी आँखें, पीले-पीले गंदे दाँत, टेढ़े-मेढ़े भद्दे पैर और तुम्हारी पीठ पर यह भद्दा सा कूबड़। सभी जानवरों में सबसे बदसूरत तू ही है। दूसरे जानवरो में तो एक-दो खामियाँ है। पर तुम में तो बस खामियाँ ही खामियाँ हैं।"

लोमड़ी की खरी-खरी बात सुनकर ऊँट का सिर शर्म से झुक गया। वह चुपचाप वहाँ से खिसक गया।

Moral of this hindi short story:

शिक्षा - दूसरों की कमियाँ ढूँढ़ने के पहले अपनी कमियों पर नजर ड़ालिए।

18. खरगोश और उसके मित्र - Moral Stories in Hindi for Kids


एक खरगोश था। उसके अनेक मित्र थे। वह हमेशा अपने मित्रों से मिलता और उनके साथ गपशप भी करता। हौके-मौके वह उनकी मद्द भी करता। मगर एक दिन खरगोश खुद संकट में पड़ गया। कुछ शिकारी कुत्ते उसका पीछा करने लगे। यह देखकर खरगोश जान बचाने के लिए सरपट भागने लगा।

भागते-भागते खरगोश का दम फूलने लगा। वह थककर चूर हो गया। मौका देखकर वह एक घनी झाड़ी में घुस गया और वहीं छिपकर बैठ गया। पर उसे यह ड़र सता रहा था कि कुत्ते किसी भी क्षण वहाँ आ पहुँचेंगे और सूँघते-सूँघते उसे ढूँढ़ निकालेंगे। वह समझ गया कि यदि समय पर उसका कोई मित्र न पहुँच सका, तो उसकी मृत्यु निश्चित है।

तभी उसकी नजर अपने मित्र घोड़े पर पड़ी। वह रास्ते पर तेजी से दौड़ता हुआ जा रहा था।

खरगोश नें घोड़े को बुलाया तो घोड़ा रुक गया। उसने घोड़े से प्रार्थना की, "घोड़े भाई, कुछ शिकारी कुत्ते मेरे पीछे पड़े हुए हैं। कृपया मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो और कहीं दूर ले चलो। अन्यथा ये शिकारी कुत्ते मुझे मार ड़ालेगे।

घोड़े नें कहा, "प्यारे भाई! मैं तुम्हारी मद्द तो जरुर करता, पर इस समय मैं बहुत जल्दी में हूँ। वह देखो तुम्हारा मित्र बैल इधर ही आ रहा है। तुम उससे कहो। वह जरुर तुम्हारी मद्द करेगा।" यह कहकर घोड़ा तेजी से सरपट दौड़ता हुआ चला गया।

खरगोश ने बैल से प्रार्थना की, "बैल दादा, कुछ शिकारी कुत्ते मेरा पीछा कर रहे हैं। कृपया आप मुझे अपनी पीठ पर बिठा ले और कहीं दूर ले चले। नहीं तो कुत्ते मुझे मार ड़ालेंगें।"

बैल ने जवाब दिया,"भाई खरगोश! मैं तुम्हारी मद्द जरुर करता। पर इस समय मेरे कुछ दोस्त बड़ी बेचैनी से मेरा इंतजार कर रहे होंगे। इसलिए मुझे वहाँ जल्दी पहुँचना है। देखो, तुम्हारा मित्र बकरा इधर ही आ रहा है। उससे कहो, वह जरुर तुम्हारी मद्द करेगा। यह कहकर बैल भी चला गया।"

खरगोश ने बकरे से विनती की, "बकरे चाचा, कुछ शिकारी कुत्ते मेरा पीछा कर रहे हैं। तुम मुझें अपनी पीठ पर बिठाकर कहीं दूर ले चलो, तो मेरे प्राण बच जाएँगे। वरना वे मुझे मार ड़ालेंगे।"

बकरे ने कहा, "बेटा, मैं तुम्हें अपनी पीठ पर दूर तो ले जाऊँ, पर मेरी पीठ खुरदरी है। उस पर बैठने से तुम्हारे कोमल शरीर को बहूत तकलीफ होगी। मगर चिंता न करो। देखो, तुम्हारी दोस्त भेड़ इधर ही आ रही है। उससे कहोगे तो वह जरुर तुम्हारी मद्द करेगी।" यह कहकर बकरा भी चलता बना।

खरगोश ने भेड़ से भी मद्द की याचना की, पर उसने भी खरगोश से बहाना करके अपना पिंड़ छुड़ा लिया।

इस तरह खरगोश के अनेक पुराने मित्र वहाँ से गुजरे। खरगोश ने सभी से मद्द करने की प्रार्थना की, पर किसी ने उसकी मद्द नहीं की। सभी कोई न कोई बहाना कर चलते बने। खरगोश के सभी मित्रो ने उसे उसके भाग्य के भरोसे छोड़ दिया।

खरगोश ने मन-ही-मन कहा, अच्छे दिनों में मेरे अनेक मित्र थे। पर आज संकट के समय कोई मित्र काम नहीं आया। मेरे सभी मित्र केवल अच्छे दिन के ही साथी थे।

थोड़ी देर में शिकारी कुत्ते आ पहुँचे। उन्होंने बेचारे खरगोश को मार ड़ाला। अफसोस की बात है कि इतने सारे मित्र होते हुए भी खरगोश बेमौत मारा गया।

शिक्षा - स्वार्थी मित्र पर विश्वास करने से सर्वनाश ही होता है।

19. चुहिया की बेटी का विवाह - Moral Stories in Hindi for Kids


एक चुहिया को एक सुंदर कन्या थी। वह अपनी बेटी का विवाह सबसे शक्तिशाली व्यक्ति से करना चाहती थी। बहुत सोच-विचार करने पर उसे लगा कि भगवान सूर्य उसकी कन्या के लिए उपयुक्त वर साबित होंगे।

चुहिया सूर्य भगवान के पास गई। उसने कहा, "सूर्य देवता, क्या आप मेरी सुंदर कन्या से विवाह करेगें? क्या उसे आप अपनी पत्नी के रूप में पसंद करेगें?"

सूर्य भगवान ने कहा,चुहिया चाची, आपने मुझे अपनी बेटी के योग्य वर समझा, इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ। पर मैं सबसे ज्यादा शक्तिशाली नहीं हूँ। मुझसे शक्तिशाली तो वरूण देवता हैं। वे अपने बादलों से मुझे ढक देते हैं।"

अतः चुहिया जल के देवता के पास गई और बोली,"वरूण देवता, क्या आप मेरी सुंदर कन्या से विवाह करेंगे? क्या उसे आप अपनी पत्नी के रूप में अपनाएँगे?"

वरूण देवता ने जवाब दिया, देखो देवी, आपने मुझे अपनी बेटी के योग्य वर समझा, इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ। पर मैं सबसे ज्यादा शक्तिशाली नहीं हूँ। मुझसे अधिक शक्तिशाली तो वायु देवता हैं। वे मेरे बादलों को दूर-दूर तक उड़ा ले जाते हैं।"

इसलिए चुहिया चाची वायु देवता के पास गई और कहने लगी, "वायु देवता, क्या आप मेरी सुन्दर कन्या से विवाह करेंगे? क्या आप मेरी बेटी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे?" वायु देवता ने कहा, "चाची आपने मुझे अपनी बेटी के योग्य वर समझा, इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ। पर मैं सबसे ज्यादा शक्तिशाली नहीं हूँ। मुझसे अधिक शक्तिशाली तो पर्वतराज हैं। वे मेरे मार्ग में खड़े हो जाते हैं और मुझे रोक देते हैं। मैं चाहे कितनी ही ताकत लगाऊँ पर पर्वतराज को अपने रास्ते से नहीं हटा पाता।

तब चुहिया चाची पर्वतराज के पास गई उनसे बोली, पर्वतराज, "क्या आप मेरी सुन्दर कन्या से विवाह करेंगे? क्या आप मेरी बेटी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे?" पर्वतराज ने कहा, "चाची, आपने मुझे अपनी बेटी के योग्य वर समझा, इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ। पर मैं सबसे अधिक शक्तिशाली नहीं हूँ। मुझसे ज्यादा शक्तिशाली तो जो मूषकराज(चूहों के राजा) हैं। वे और उनके साथी मेरे चट्टानी शरीर में बड़े-बड़े बिल खोदकर मुझे खोखला कर ड़ालते हैं।

अंत में चुहिया चाची मूषकराज के पास गई और बोली, "मूषकराज, क्या आप मेरी सुन्दर बेटी से विवाह करेंगे? क्या आप उसे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे?"

मूषकराज यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा,"हाँ, मैं आपकी बेटी से अवश्य विवाह करूँगा।
तब गाजे-बाजे के साथ धूमधाम से चुहिया की बेटी और मूषकराज का विवाह संपन्न हुआ।"

शिक्षा - दूर के ढ़ोल सुहावने लगते हैं।

दोस्तों अभी तक आप best moral short stories in hindi for kids की 19 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 20th Moral Stories in Hindi for kids.

20. न्यायी राजा - Moral Stories in Hindi for Kids


राजा विक्रम अपनी न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे। एक बार वे अपने लिए एक शानदार राजमहल बनवा रहे थे। राजमहल का नक्शा तैयार हो चुका था। पर एक समस्या आड़े आ रही थी। राजमहल के निर्माण-स्थान के पास ही एक झोपड़ी थी। इस झोपड़ी के कारण राजमहल की शोभा नष्ट हो रही थी।

राजा ने झोपड़ी के मालिक को बुलवाया। उन्होंने अपनी समस्या के बारे में झोपड़ी के मालिक को बताया और झोपड़ी के बदले मोटी रकम देने का प्रस्ताव उसके सामने रखा। पर झोपड़ी का मालिक बहुत अडि़यल था।  उसने राजा से कहा, "महाराज, माफ करें, आपका प्रस्ताव मुझे मंजूर नहीं है। अपनी झोपड़ी मुझे जान से भी ज्यादा प्यारी है। इसी झोपड़ी में मेरा जन्म हुआ था। मेरी पूरी उम्र इसी में गुजर गई। मैं अपनी इसी झोपड़ी में मरना भी चाहता हूँ।"

राजा ने सोचा, इस गरीब के साथ ज्यादती करना उचित नहीं है। उसने अपने मंत्री से कहा, "कोई हर्ज नहीं! इस झोपड़ी को यहीं रहने दो। जब लोग इस शानदार महल को देखेंगे, तो वे मेरे सौंदर्यबोध की सराहना अवश्य करेंगे। जब वे राजमहल के समीप इस झोपड़ी को देखेंगे, तो मेरी न्यायप्रियता की भी तारीफ करेंगें।"

शिक्षा - जियो और जीने दो

21. चतुर चित्रकार - Moral Stories in Hindi for Kids


एक धनवान बुढि़या थी। एक बार उसने एक नामी चित्रकार से अपना चित्र बनाने के लिए कहा। चित्रकार ने उसका चित्र बनाने के लिए कई दिनों तक मेहनत की। जब चित्र बनकर तैयार हो गया, तो चित्रकार ने उस महिला को अपने स्टुडियो में चित्र देखने के लिए बुलावाया।

इससे बुढि़या बहुत खुश हुई। वह चित्र देखने के लिए चित्रकार के स्टुडियो पहुँची। वह अपने साथ अपने कुत्ते को भी ले आई थी। बुढि़या ने वह चित्र अपने कुत्ते को दिखाते हुए कहा, टामी डार्लिंग, देख तो, ये तेरी मालकिन हैं। पर कुत्ते ने उसमें कोई रूचि नहीं दिखाई।

धनवान बुढि़या ने चित्रकार की ओर मुड़ते हुए कहा,"मुझे नही चाहिए यह चित्र! मेरा चतुर कुत्ता तक चित्र में मुझे पहचान नहीं सका।"

चित्रकार बहुत व्यवहारकुशल और बुद्धिमान था। वह अमीरों की इस तरह की सनक से भलीभाँति परिचित था। उसने नम्रतापूर्वक कहा, "मैडम आप कल फिर आइए! कल मैं इसे इतना स्वाभाविक रूप दे दूँगा कि यह चित्र आपकी शक्ल-सूरत से हूबहू मिलता-जुलता बन जाएगा। फिर आपका टामी इसे देखकर दुम हिलाता हुआ इसे चाटने लगेगा।"

दूसरे दिन बुढि़या फिर अपने कुत्ते को लेकर चित्रकार के स्टुडि़यो पहुँची। कुत्ता चित्र को देखते ही अपनी दुम हिलाता हुआ दौड़कर उसके पास पहुँचा और उसे चाटने लगा।

बुढि़या यह देखकर पुलिकित हो उठी। उसने कहा, "वाह! कितना खूबसूरत चित्र बनाया है, आपने! मेरे टामी को यह पसंद आ गया है, इसलिए मुझे भी यह पसंद है। लाइए, इसे बाँधकर मुझे दे दीजिए। चित्रकार ने चित्र के लिए एक मोटी रकम की माँग की और महिला ने खुशी-खुशी पैसे अदा कर दिए।"

जब बुढि़या चित्र लेकर चली गई, तो चित्रकार को बहुत हँसी आई। उसने पहले वाले चित्र में कुछ भी नहीं बदला था। उसने उस चित्रपर केवल मसाले दार गोश्त का टुकड़ा लेकर रगड़ दिया था, बस। गोश्त की महक नाक में जाते ही कुत्ता चित्र को चाटने लगा था।

शिक्षा - सूझबूझ से काम लेने पर बिगड़ी बात भी सुधर जाती है।

22. बीरबल और बेईमान अधिकारी - Moral Stories in Hindi for Kids


एक दिन बादशाह अकबर के एक अधिकारी ने कड़ाके की ठंडी में एक गरीब आदमी से शर्त लगाई। उसने गरीब आदमी से कहा, "यदि तुम तालाब के ठंडे पानी में रातभर खड़े रहो, तो मैं तुम्हें पचास अशर्फियाँ दूँगा। गरीब आदमी को पैसे की बहुत जरूरत थी।" इसलिए उसने यह शर्त मान ली।

दूसरे दिन शाम को उस गरीब आदमी ने तलाब के पानी में प्रवेश किया और पूरी रात पानी में ठिठुरता हुआ खड़ा रहा। अधिकारी ने उस पर निगरानी रखने के लिए पहरेदारों को लगा दिया था। प्रातःकाल होने पर पहरेदारों ने अधिकारी को बताया कि बेचारा गरीब आदमी पूरी रात ठिठुरता हुआ तालाब के पानी में खड़ा रहा था। पर अधिकारी की नीयत में खोट थी। वह उस गरीब को पचास अशर्फियाँ देना नहीं चाहता था।

जब वह गरीब आदमी अपना इनाम पाने के लिए अधिकारी के पास पहुँचा, तो उसने उससे पूछा, "क्या तालाब के पास कोई दीपक जल रहा था?"

हाँ, सरकार, गरीब आदमी ने जवाब दिया।
"क्या तुमने उस दीपक की ओर देखा था?"अधिकारी ने पूछा।

"हाँ, सरकार, मैं रातभर उसी को देखता रहा।" गरीब आदमी ने कहा। "अच्छा, तो यह बात है!" अधिकारी ने कहा, "तुम रातभर तालाब के पानी में इसलिए खड़े रह सके, क्योंकि तुम्हें उस दीपक से गर्मी मिलती रही।इसलिए तुम्हें इनाम माँगने का कोई अधिकार नहीं है। भाग जाओ!" इस प्रकार अधिकारी ने उस गरीब को डाँटकर भगा दिया।

गरीब आदमी इससे बहुत दुःखी हुआ। वह सहायता के लिए बीरबल के पास पहुँचा। बीरबल ने बड़े ध्यान से उसकी बात सुनी। उन्होंने उसे ढाढ़स बँधाते हुए कहा,"चिंता मत करो मित्र। मैं तुम्हें न्याय अवश्य दिलाऊँगा।" बीरबल के आश्वासन पर वह अपने घर चला गया।

दूसरे दिन बीरबल दरबार में नहीं गए। अकबर ने बीरबल का पता लगाने के लिए अपने सेवकों को उनके घर भेजा। सेवकों ने वापस आकर बादशाह से कहा, "महराज, बीरबल ने कहा है कि वे खिचड़ी पकाने मे व्यस्त हैं। खिचड़ी पकते ही वे दरबार में हाजिर हो जाएँगे।"

काफी समय बीत गया, पर बीरबल नहीं आए। बादशाह ने बीरबल को बुलाने के लिए दूसरे सेवक भेजे। उन्होंने भी लौट का वही संदेश दिया, जो पहलेवालों ने दिया था।

बीरबल का विचित्र जवाब सुनकर बादशाह को बहुत आश्चर्य हुआ। वे स्वयं बीरबल के घर पहुँच गए। बीरबल के घर के अहाते का दृश्य देखकर बादशाह चकित रह गए। बीरबल ने जमीनपर आग जला रखी थी और तीन ऊँचे बाँसों पर एक मिट्टी की हँडि़या बँधी हुई थी।

बादशाह ने कहा, "बीरबल, यह क्या बेवकूफी है? जमीन पर जल रही आग की आँच इतने ऊपर टंगी हँडि़या तक कैसे पहुँच सकती है?"

बीरबल ने जवाब दिया, "महाराज, यदि तालाब के पानी में खड़ा आदमी तालाब के पास के दीपक से गर्मी प्राप्त कर सकता है, तो जमीनपर जल रही आग की आँच से ऊपर बँधी यह हँडि़या क्यों नहीं गर्मी पा सकती?"

बादशाह ने बीरबल से कहा, "बीरबल पहेलियाँ मत बुझाओ। साफ-साफ कहो बात क्या है?" तब बीरबल ने बादशाह को बताया कि किस तरह उनके अधिकारी ने एक गरीब आदमी से शर्त लगाई थी और अब इनाम देने से वह मुकर रहा है।

बादशाह अकबर ने तुरंत अधिकारी तथा गरीब आदमी को बुलाया। दोनों पक्षों की बात सुनकर बादशाह ने उस अधिकारी को आदेश दिया, "तुम शर्त हार गए हो! इसलिए इसी वक्त इस आदमी को पचास अशर्फियाँ दे दो।"

अधिकारी को बादशाह का आदेश मानना पड़ा। उसने गरीब आदमी को तुरंत पचास अशर्फियाँ दे दीं। उस गरीब आदमी ने बादशाह और बीरबल का लाख-लाख शुक्रिया अदा किया।

Moral of this hindi story:

शिक्षा - जैसे को तैसा।

23. छुपा खजाना - Short Stories in Hindi for Kids


एक बूढ़ा किसान था। उसके तीन बेटे थे। तीनों ही जवान और हट्टे-कट्टे थे। पर वे बहुत ही आलसी थे। पिता की कमाई उड़ाने में उन्हें बड़ा मजा आता था। मेहनत करके पैसे कमाना उन्हें अच्छा नहीं लगता था।

एक दिन किसान ने अपने बेटों को बुलाकर कहा, "देखो, तुम लोगों के लिए मैंने अपने खेत में एक छोटा-मोटा खजाना गाड़ रखा है। तुम लोग खेत को खोद डालो और उस खजाने को निकालकर आपस में बाँट लो",दूसरे दिन बड़े सबेरे उस किसान के तीनों लड़के कुदालियाँ लेकर खेत पर पहुँच गए और खुदाई शुरू कर दी। पर, उन्होंने खेत की एक-एक इंच जमीन खोद डाली। पर, उन्हें कहीं भी खजाना नही मिला।

अंत में निराश होकर वे पिता के पास पहुँचे। उन्होंने कहा, "पिताजी, हमने पूरा खेत खोद डाला, पर हमें कहीं भी खजाना नही मिला।" किसान ने जवाब दिया, "कोई बात नही! तुम लोगों ने खेत की बहुत अच्छी खुदाई कर दी है। अब मेरे साथ आओ, हम इसकी बोआई करें।"

बाप-बेटों ने मिलकर खूब लगन से खेत की बुआई की। संयोग से उस वर्ष बरसात भी समय पर और बहुत अच्छी हुई। खेत मे खूब पैदावार हुई। फसल पक जाने पर खेत की शोभा देखते ही बनती थी। तीनों बेटों ने बड़ेे गर्व से अपने पिता को लहलहाती फसल दिखाई।

किसान ने कहा, "वाह, क्या खूब फसल हुई है! यही है वह खजाना, जिसे मैं तुम लोग को सौंपना चाहता था। अगर तुम लोग इसी तरह कड़ी मेहनत करते रहोगे, तो ऐसा ही खजाना तुम्हें हर वर्ष मिलता रहेगा।"

Short stories in hindi with moral:

शिक्षा - मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है।

दोस्तों अभी तक आप Best 29 Moral Stories in Hindi for Kids की 23 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 24th short moral stories in hindi for kids.

24. घुमक्कड़ अमीर - Hindi Stories for Kids with Moral


एक अमीर आदमी था। वह अक्सर देश-विदेश की यात्रा किया करता था। इसलिए वह अधिकतर घर से बाहर ही रहता था। जब कभी वह घर लौटकर आता, तो आसपास के युवकों को एकत्र करता और उन्हें अपनी यात्रा के चित्र-विचित्र अनुभवों के बारे में बताता।

अक्सर वह उन युवकों से पूछता!
क्या तुमने पेरिस का आयफेल टावर देखा है?
क्या तुमने पिसा की झुकी हुई मीनार देखी है?
क्या तुमने आगरा का ताजमहल देखा है?
क्या तुमने दिल्ली की कुतुबमीनार देखी है?
वे लोग उसकी बातें सुनकर अवाक रह जाते!

हर बार उस घुमक्कड़ अमीर के सवालों के जवाब में युवकों के मुँह से यही निकलता, नहीं! यह सुनकर अमीर कहता, "तुम लोग घर छोड़कर बाहर कहीं गए ही नही। इसलिए तुम्हें जीवन का आनंद नहीं मिला।"

एक दिन युवकों ने उस अमीर आदमी से कहा, "क्या आप कभी शहर के कबाड़ी की दुकान पर गए हैं? चलिए," घुमा लाते हैं आपको!

लड़के उसे लेकर कबाड़ी की दुकानपर पहुँचे। अमीर, कबाडी की दुकान देखकर दंग रह गया। उसने देखा कि कबाड़ी की दुकान उसके घर के कीमती समानों से भरी पड़ी है। उसने कहा, "अरे, मेरे घर की चीजें इस कबाडखाने में कैसे पहुँच गईं?

युवकों ने उसकी खिल्ली उड़ाते हुए कहा, "आप तो मुश्किल से अपने घर पर होते हैं। इसलिए आप अपने पुरखों की गाढ़ी कमाई की चीजें इसी तरह लुटाते जा रहे हैं।"

Moral Stories in Hindi for Kids:

शिक्षा - समुचित देखभाल न करने पर घर की संपत्ति जाते देर नहीं लगती।

25. कंजूस कड़ोड़ीमल - Moral Stories in Hindi for Kids


करोड़ीमल नाम का एक कंजूस आदमी था। एक दिन वह नारियल खरीदने के लिए बाजार गया। उसने नारियलवाले से नारियल की कीमत पूछी।

चार रूपये का एक, नारियलवाले ने कहा।
चार रूपये! यह तो बहुत महँगा है। मैं तो तीन रूपये दूँगा।करोड़ीमल ने कहा।

नारियलवाले ने जवाब दिया, यहाँ तो नही, यहाँ से एक मील की दूरीपर आपको जरूर तीन रूपये में एक नारियल मिल जाएगा।

करोड़ीमल ने विचार किया, पैसा बहुत मेहनत से कमाया जाता है। मीलभर पैदल चल लेने पर कम-से-कम एक रूपये की तो बचत हो जाएगी।
वे पैदल चलते-चलते एक मील तक गए, तो वहाँ उन्हें एक नारियलवाले की दुकान दिखाई दी। उन्होंने दुकानदार से नारियल की कीमत पूछी।
दुकानदार ने कहा, तीन रूपये का एक।

करोड़ीमल ने कहा, यह तो बहुत ज्यादा है। मैं तो अधिक से अधिक दो रूपये दूँगा।

अगर तुम एक मील आगे चले जाओ, तो वहाँ तुम्हें दो रूपए में मिल जाएगा। दुकानदार ने कहा।
करोड़ीमल ने फिर विचार किया, पैसा बहुत मूल्यवान होता है। एक रूपया बचाने के लिए मीलश्र पैदल चलने में क्या हर्ज है?

वे फिर चलते-चलते एक मील चले गए। वहाँ उन्हें नारियल की एक दुकान दिखाई दी। उन्होंने नारियलवाले से नारियल की कीमत पूछी।
दो रूपए का एक, नारियलवाले वाले ने जवाब दिया।

करोड़ीमल ने कहा, "एक नारियल के दो रूपये? यह तो बहुत अधिक है। मैं तो केवल एक रूपए दूँगा।"
तो फिर एक काम करो, नारियलवाले ने कहा, "तुम समुद्र के किनारे-किनारे एक मील तक चलते जाओ। वहाँ नारियल की कई दुकानें है। तुम्हें एक रूपए में ही नारियल मिल जाएगा वहाँ।"
करोड़ीमल ने फिर विचार किया, "एक रूपया बचाने के लिए एक मील चल लेने में क्या हर्ज है? पैसा बहुत मूल्यवान होता है!"

करोड़ीमल वहाँ से चलते-चलते एक मील दूर समुद्र-तट पर पहुँच गए। वहाँ नारियलवालों की कई दुकाने थीं। करोड़ीमल ने एक दुकानदार से नारियल की कीमत पूछी।

दुकानदार ने कहा, "एक रूपए का एक नारियल।"
करोड़ीमल ने कहा, "एक रूपया! मैं तो इसके पचास पैसे दूँगा।"

नारियलवाले ने कहा, "तो फिर सामनेवाले नारियल के पेड़ पर चढ़ जाओ और तोड़ लो जितने चाहिए उतने। तुम्हारा एक पैसा भी खर्च नहीं होगा।"
हाँ यही ठीक रहेगा। करोड़ीमल ने कहा और देखते-ही-देखते वे एक नारियल के पेड़ पर चढ़ गए। उन्होंने अपने दोनों हाथों से एक नारियल पकड़ा और उसे जोर का झटका दिया। नारियल तो टूट गया, पर साथ-ही-साथ पेड़ से उनके पैर की पकड़ भी छूट गयी। फिर क्या था, करोड़ीमल नारियल सहित समुद्र की रेत पर आ गिरे। उनके पैर की हड्डी टूट गई और शरीर पर भी कई जगह खरोंचें आ गईं। एक नारियल के लिए करोड़ीमल को सिर्फ इतनी ही कीमत अदा करनी पड़ी!

Moral Stories in Hindi for Kids:

शिक्षा - लालच बुरी बला है।

26. बुद्धि का चमत्कार - Kids Stories in Hindi with Moral


बुद्धिचंद नाम का एक आदमी था। उसके पड़ोस में लक्ष्मीनंदन नाम का एक आदमी रहता था। बुद्धिचंद ने अपनी बेटी की शादी के लिए लक्ष्मीनंदन से एक हजार रूपये उधार लिए थे। उसकी बेटी की शादी हो जाने के बाद लक्ष्मीनंदन ने बुद्धिचंद से अपने पैसे वापस माँगे।

बुद्धिचंद ने कहा, सेठजी, मैं आपका एक-एक पैसा चुकता कर दूँगा! मुझे थोड़ा समय दीजिए।

लक्ष्मीनंदन ने कहा, "मेरा ख्याल था कि तुम एक ईमानदार आदमी हो! पर अब पता चला कि यह मेरी भूल थी।"

बुद्धिचंद ने कहा, "सेठजी, धीरज रखिए! मैं आपका कर्ज अवश्य चुका दूँगा। मैं बेईमान नहीं हूँ।"

"अगर तुम बेईमान नहीं हो, तो मेरे साथ अदालत में चलो। वहाँ न्यायाधीश के सामने लिखकर कर दो कि तुमने कर्ज के बदले में अपना मकान मेरे पास गिरवी रखा है।"

बुद्धिचंद ने कहा, "सेठजी, अदालत चलने की क्या जरूरत है? मुझ पर विश्वास रखिए। मैं आपका पैसा जल्द से जल्द लौटा दूँगा।" पर लक्ष्मीनंदन ने बुद्धिचंद की एक न सुनी। वह अपनी इस जिदपर अड़ा रहा कि बुद्धिचंद अदालत चलकर दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दे। वास्तव में लक्ष्मीनंदन बुद्धिचंद के मकान को हड़पना चाहता था।

बुद्धिचंद लक्ष्मीनंदन के मन की बात ताड़ गया। उसने लक्ष्मीनंदन से कहा, "मैं अदालत चलने के लिए तैयार हूँ। पर वह चलने के लिए मेरे पास ना तो घोड़ा है और न सेठ ने बीच ही में उसकी बात काटकर कहा,

तुम तैयार हो जाओ, "मैं तुम्हें अपना घोड़ा दे दूँगा।"
"पर मेरे पास अच्छे कपड़े भी नहीं हैं।" बुद्धिचंद ने कहा।

"चलो, मैं तुम्हें अपने कपड़े भी दे दूँगा।" लक्ष्मीनंदन ने कहा।

"मगर मैं पगड़ी की व्यवस्था कहाँ से करूँगा?" बुद्धिचंद ने कहा।

"वह भी मैं तुम्हें दे दूँगा। और कुछ चाहिए?" लक्ष्मीनंदन ने कहा।

सेठजी, "मेरे पास तो जूते भी नहीं हैं!" बुद्धिचंद ने कहा।

"मैं तुम्हे अपने जूते भी दे दूँगा।" मगर अब देर मत करो! झटपट तैयार हो जाओ। लक्ष्मीनंदन ने मन-ही-मन खश होते हुए कहा।

बुद्धिचंद ने लक्ष्मीनंदन की पोषाक पहन ली। सिर पर पगड़ी और पैरों में उसके जूते पहन लिये। वह लक्ष्मीनंदन के घोड़ेपर सवार होकर उसके साथ अदालत जाने के लिए चल पड़ा।

जब अदालत में बुद्धिचंद का नाम पुकारा गया, तो वह न्यायाधीश के सामने हाजिर हुआ। उसने नयायाधीश से कहा, श्रीमान, सेठ लक्ष्मीनंदन का कहना है कि मेरा मकान और मेरे घर की सारी चीजें इनकी हैं। इसके लिए ये हमेशा मुझसे झगड़ा करते रहते हैं। मुझे सेठ जी जबरन अदालत में लेकर आए हैं। श्रीमान, कृपया आप मुझे इनसे कुछ सवाल पूछने की इजाजत दे।" न्यायाधीश ने लक्ष्मीनंदन को बुलावाया और उसे बुद्धिचंद के सवालों का जवाब देने का आदेश दिया।

बुद्धिचंद ने लक्ष्मीनंदन से पूछा, "मेरे सिर पर बँधी पगड़ी किसकी है?" लक्ष्मीनंदन ने कहा, "मेरी है!"
"मैंने जो कपड़े पहने रखे हैं, वे किसके हैं?" बुद्धिचंद ने पूछा।

"मेरे हैं, और किसकी?" लक्ष्मीनंदन ने कहा।
"और मेरे पैरों में जो जूते हैं, वे किसके हैं?" बुद्धिचंद ने पूछा।

"जूते भी मेरे ही हैं।" लक्ष्मीनंदन ने चीखते हुए कहा।
"और जिस घोड़ेपर सवार होकर मैं यहाँ कचहरी आया हूँ, वह घोड़ा किसका है?" बुद्धिचंद ने पूछा।
"वह घोड़ा भी तो मेरा ही है," लक्ष्मी नंदन ने ऊँची अवाज में कहा, पगड़ी, "घोड़ा, जूते, कपड़े,सब मेरे हैं।"

अदालत में मौजूद सभी लोग लक्ष्मीनंदन का जवाब सुनकर ठठाकर हँसने लगे।हर किसी को लगा कि लक्ष्मीनंदन पागल हो गया है। अंत में न्यायाधीश ने मुकदमा खारिज कर दिया।
बुद्धिचंद ने अपनी बुद्धि से अदालत में लक्ष्मीनंदन को हँसी का पात्र साबित कर दिया। इस तरह उसने लक्ष्मीनंदन के षड्यंत्र को विफल कर दिया।

Moral Stories in Hindi for Kids:

शिक्षा - धूर्त के साथ धूर्तता से ही पेश आना चाहिए।

दोस्तों अभी तक आप Top 29 Kids Moral Stories in Hindi की 26 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 27th Moral Stories in Hindi for kids.

27. सच्चा मित्र - Best Moral Stories in Hindi for Kids


एक दिन सुबह-सुबह दो मित्र समुद्र में नौका-विहार करने निकले। वे शांत समुद्र में नाव खेते और गपशप करते हुए जा रहे थे। देखते-ही-देखते वे किनारे से बहुत दूर गहरे समुद्र में जा पहुँचे।

तभी एकाएक आसमान में काले-काले बादल घिर आए। तूफानी हवाएँ चलने लगीं। समुद्र में ऊँची-ऊँची लहरें उठने लगीं। उनकी नाव लहरों के साथ हिचकोले खाने लगी। अब मृत्यु उनकी आँखों के सामने नाचने लगी। इतने में सौभाग्य से उन्हें पास ही तैरता हुआ लकड़ी का एक पल्ला दिखाई पड़ा। डूबतों को जैसे तिनके का सहारा मिल गया। दोनों मित्रों ने झटपट नाव से छलाँग लगाई और तैरते-तैरते उस पल्ले को पकड़ लिया। पर पल्ला बहुत ही हल्का था। वह दोनों का भार वहन नहीं कर सकता था।

तब एक मित्र ने दूसरे मित्र से कहा,"देखो भाई, तुम शादीशुदा हो। तुम्हारी पत्नी है, बच्चे हैं। उनके लिए तुम्हारा जिंदा रहना ज्यादा जरूरी है। मैं ठहरा अकेला। इसलिए मैं मर भी गया, तो कोई हर्ज नहीं!"

शादीशुदा मित्र ने जवाब दिया, "नही भाई, तुम्हारी माँ है, बहन है! अगर तुम मर गए, तो उनकी देखरेख कौन करेगा?"

"उनकी देखरेख का जिम्मा अब मैं तुम पर डालकर जा रहा हूँ।" कहते हुए पहले मित्र ने पल्ला छोड़ दिया। वह समुद्र में डूबकर मर गया।

शादीशुदा युवक पल्ले के सहारे तैरते-तैरते किसी तरह किनारे आ लगा। उसकी जान बच गई। वह सकुशल घर पहुँच गया। उसने अपने दिवंगत दोस्त की माँ और बहन की जिंदगी भर परवरिश की।

Moral Short Stories in Hindi for Kids: 

शिक्षा - सच्चे मित्र एक दूसरे के सुख दुख मे सहभागी होते है।

28. राजा और चरवाहा - Short Stories for Kids in Hindi


प्राचीन काल में एक राजा था। उसे प्राकृतिक सौंदर्य के चित्र बनाने का बहुत शौक था। एक दिन चित्र बनाने के लिए वह पहाड़ की एक ऊँची चोटी पर गया। वहाँ उसने एक बहुत ही सुंदर चित्र बनाना शुरू किया। चित्र बन जाने पर वह उसके सामने खड़े होकर हर कोण से उसे निहारता और चित्र में जहाँ कोई कमी मालूम होती, उसे ब्रश से सुधार देता। अंत में दूर से चित्र कैसा दिखता है, यह जानने के लिए वह एक-एक कदम पीछे हटने लगा। पीछे हटते-हटते वह पहाड़ी के कगार तक जा पहुँचा।

पास ही एक लड़का अपनी भेड़ें चरा रहा था। उसने पीछे हटते हुए राजा को देखा। उसने सोचा कि यदि राजा अब एक कदम भी पीछे हटेगा, तो वह गहरी घाटी में गिर पड़ेगा और मर जाएगा। यह सोचकर लड़का भागता हुआ चित्र के पास गया और अपनी लाठी से उसने चित्र को फाड़ डाला।

राजा को लड़के की इस शरारत पर बहुत गुस्सा आया। उसने लपककर लड़के को दबोच लिया। राजा ने गुस्से से चीखते हुए कहा, "मूर्ख! तूने यह क्या किया? मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूँगा।"

भेड़े चरानेवाले लड़के ने बड़ी नम्रतापूर्वक कहा, "महाराज, जरा पीछे मुड़कर देखिए! नीचे कितनी गहरी घाटी है! यदि मैंने यह चित्र न फाड़ा होता, तो आप इस घाटी में गिर जाते और आपकी जान न बचती।"

राजा ने पीछे मुड़कर देखा, तो अवाक रह गया। उसने अपनी जान बचाने के लिए लड़के को धन्यवाद दिया। राजा ने लड़के से कहा, "सचमुच, यदि तुमने चतुराई से काम न लिया होता, तो मेरे प्राण नहीं बचते।"

फिर राजा लड़के को अपने साथ राजमहल ले गया। उसने लड़के को ढेर सारे पुरस्कार दिए। राजा ने अपनी देखरेख में उसकी परवरिश की और बड़े होने पर उसे अपना प्रधानमंत्री बनाया।

Moral of this hindi kids story:

शिक्षा - अच्छाई का फल अच्छा ही होता है।

29. तीन ठग - Moral Stories in Hindi for Kids


एक दिन सबेरे-सबेरे एक ब्राह्मण सुनसान रास्ते से जा रहा था। उसके साथ एक बकरी भी थी। तीन ठगों की नजर ब्राह्मण और उसकी बकरी पर पड़ी।

एक ठग ने कहा, "चाहता हूँ कि इस मोटी-ताजी बकरी को किसी तरह हथिया लिया जाए।"
दूसरे ठग ने कहा, "चलो, हम बकरी छीनकर भाग चलें। यह मोटू ब्राह्मण हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।"

तीसरे ठग ने कहा, "नहीं, बकरी छीनकर भागने की कोई जरूरत नहीं है! मैंने एक अच्छी तरकीब सोच ली है।" फिर उसने वह तरकीब अपने साथियों को बताई। दोनों ठगों ने अपने साथी की योजना सुनी तो वे खुशी से उछल पड़े। उन्होंने उसी तरकीब से ब्राह्मण की बकरी ले लेने का निश्चय किया।
योजना के अनुसार एक ठग ने ब्राह्मण से जाकर कहा,"पंडितजी, प्रणाम! आपका यह कुत्ता तो बहुत अच्छा है। क्या यह शिकारी कुत्ता है?"

ब्राह्मण को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया। उसने कहा, "अरे बेवकूफ, चल दूर हट! कितने शर्म की बात है कि तू बकरी को कुत्ता कहता है।"

"क्या आपके इस कुत्ते को मैं बकरी कहूँ, तो आप मुझे बुद्धिमान मानेंगे? हाऽऽ! हाऽऽऽ! हाऽऽऽऽ!" हँसता हुआ वह ठग चला गया।

थोड़ी देर के बाद दूसरा ठग ब्राह्मण के पास आया। उसने ब्राह्मण से कहा, "प्रणाम पंडितजी! ताजुब्ब है! आपके पास सवारी के लिए इतना मजबूत टट्टू है, फिर भी आप इसके साथ-साथ पैदल जा रहे हैं!"

ब्राह्मण ने कहा, "हे भगवान! अरे, क्या तुम्हें यह बकरी टट्टू दिखाई दे रही है?"

ठग ने कहा, "मैं तो समझ रहा था कि आप कोई विद्वान ब्राह्मण होंगे, पर आप तो सनकी लगते हैं। आपको तो टट्टू और बकरी में कोई फर्क ही नजर नहीं आता!" यह कहते हुए वह ठग भी चलता बना।

कुछ समय के बाद तीसरा ठग ब्राह्मण के पास आया। उसने कहा, "पुरोहित जी, प्रणाम! अरे आप इस गधे को कहाँ लिए जा रहे हैं?"

यह सुनकर ब्राह्मण चकरा गया उसने कहा,"यह गधा है?"

"बिल्कुल! गधा ही तो है यह!" ठग ने दावे के साथ कहा।

यह सुनकर ब्राह्मण घबरा गया। उसे लगा कि उसकी बकरी वास्तव में कोई पिशाचिनी है। वह समय-समय पर अपना रूप बदलती रहती है। इसलिए ब्राह्मण बकरी को वहीं छोड़कर भाग खड़ा हुआ।
यह देखकर तीनों ठग बहुत खुश हुए। वे खशी-खुशी बकरी को लेकर चलते बने।

शिक्षा - लोगो की बातें सुनकर अपनी धारणा मत बदलो।

दोस्तों यह थी best 29+ Moral Stories for kids in Hindi. ये सभी कहानियाँ नैतिक है। और इन कहानियों से बच्चों को बहुत मदद मिलेगी।

आप को ये top 29+ Moral Stories in Hindi for Kids कैसी लगी हमे comment मे जरूर बताएं। अगर आप को ये कहानियाँ अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर share करें। 

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