RBI क्या है और कैसे काम करता है | RBI in Hindi

 "मैं धारक को को ₹500 अदा करने का वचन देता हूं" - Signature रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया



कुछ ऐसा ही लिखा होता है गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के हर करेंसी नोट पर। लेकिन कभी आपने सोचा कि इसका मतलब क्या है? और क्यों हर करेंसी नोट पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर का signature होता है?



कभी आपने यह सोचा कि आरबीआई जितना चाहे उतना करंसी नोट क्यों नहीं छाप लेता? आखिर करेंसी नोट छापने के लिए चाहिए ही क्या - प्रिंटिंग मशीन, कागज, स्याही और कुछ लोग।
एक सवाल तो आपके मन में जरूर आता होगा कि आरबीआई के पास कितना सोना है?


आप अक्सर ये खबरें सुनते रहे होंगे कि आरबीआई ने इतनी हजार करोड़ गवर्नमेंट को दे दिए। लेकिन कभी आपने यह सोचा कि यह हजारों करोड़ की इनकम आखिर आरबीआई को होती कहां से है?


ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिन के बारे मे जानना बहुत जरूरी है। तो आज के इस article मे हम आपको RBI से जुड़े इन तमाम सवालों के जवाब बताएँगे। और RBI से लेकर पैसे छापने तक के सारे procedure के बारे मे भी बात करेंगे। तो आइये सबसे पहले जानते हैं RBI के बारे मे कुछ संछिप्त और जरूरी बातें।


RBI क्या है और कैसे काम करता है। जाने RBI से जुड़ी पूरी जानकारी हिंदी मे 

RBI क्या है और कैसे काम करता है | RBI in Hindi

RBI क्या है?

आरबीआई भारत का केंद्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों का संचालन करता है। आरबीआई को बैंकों का भी बैंक कहा जाता है और यह भारत की इकोनॉमी को कंट्रोल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आरबीआई भारत के प्रधानमंत्री द्वारा कंट्रोल किया जाता है। आरबीआई के देशभर में 29 ऑफिस है।

RBI का पुराना नाम क्या है? 

RBI का पुराना नाम “The Imperial Bank Of India” (Ibi) है।

आरबीआई का प्रतीक क्या है? 

आरबीआई का प्रतीक "ताड़ का पेड़ और बाघ" है जिसे आप नीचे चित्र में देख सकते हैं


RBI का full form क्या है? 

Full form of RBI - Reserve Bank of India

RBI का full form - रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया

RBI का मुख्यालय कहाँ है? 

आरबीआई का कार्यालय मुंबई में स्थित है। प्रारंभ में आरबीआई का मुख्यालय कोलकाता में स्थापित किया गया था। लेकिन 1937 में स्थायी रूप से मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया।

RBI की स्थापना कब और किसने की? 

यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल है जो अक्सर exams में पूछे जाते हैं की आरबीआई की स्थापना कब हुई। आरबीआई की स्थापना 1 अप्रैल 1935 ईस्वी मे हुई। इसकी स्थापना में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

आरबीआई की स्थापना ब्रिटिश राज्य में की गई थी लेकिन स्वतंत्र भारत में इसका राष्ट्रीयकरण 1 जनवरी 1949 में हुआ।

आरबीआई के गवर्नर

आरबीआई के गवर्नर का कार्यकाल 3 साल का होता है।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह भी आरबीआई के गवर्नर रह चुके हैं।


आरबीआई के कार्य (Functions of RBI) : 

आइये अब जानते हैं RBI के function के बारे मे।

कैसे होता है नोटों की छपाई? 

आरबीआई एक्ट 1934 के सेक्शन 22 के तहत आरबीआई को बैंक नोट issue करने की powers दी गई है। और आरबीआई की जो इकाई यह काम करती है उसका नाम है "भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड"

RBI ज्यादा से ज्यादा ₹10000 तक का नोट छाप सकती है। और अगर आरबीआई को इससे बड़ा नोट छापना होगा तो इसके लिए सरकार को आरबीआई एक्ट 1934 में बदलाव करना होगा।

नोट आखिर छपते कहां है?

अब आपका अगला सवाल होगा कि इतने सारे नोट आखिर छपते कहां है। इसके लिए पूरे भारत में चार प्रिंटिंग प्रेस है। महाराष्ट्र के नासिक में,MP के देवास में, कर्नाटक के मैसूर में और west Bengal के सलबोनी में।

इनमें से नासिक और देवास की प्रिंटिंग प्रेस को भारत सरकार कंट्रोल करती है। और बाकी की दो प्रिंटिंग प्रेस जो सलबोनी और मैसूर में है उनको आरबीआई कंट्रोल करता है।

रही बात नोटों की छपाई की, तो आरबीआई साल की शुरुआत में ही प्रिंटिंग प्रेस को एक shedule दे देता है जिसमें बताया जाता है कि उन्हें कब-कब कितना नोट छापना है।

इसके लिए आरबीआई पहले से ही data तैयार कर लेता है जो आरबीआई के 19 rgional offices से मिले data से तैयार होता है।

इसके बाद RBI statical analysis का सहारा भी लेता है ।
यानी आरबीआई पहले से ही यह गणना कर लेता है कि कितने नोट सरकुलेशन में है, कितने नोट पिछले साल नष्ट कर दिए गए, कितने नोट नये छापे जाने हैं और कितने खराब नोटों को इस बार बदला जाना है।

इन सब की गणना करने के बाद आरबीआई फाइनेंस मिनिस्ट्री की coins and currency division से कंसल्ट करता है और उस से कंसल्ट करने के बाद यह फैसला लिया जाता है की इस साल कितने नोट छापे जाने हैं।

खैर ये तो हुई नोटों की छपाई की बात। लेकिन सिक्के कैसे बनते हैं यह भी आईये जानते हैं।

सिक्के कैसे बनते हैं ? 

Coinage act 1906 के मुताबिक सिक्कों की ढलाई का काम RBI नहीं बल्कि भारत सरकार के हाथ में होता है। सिक्कों की ढलाई पूरे भारत में चार जगह पर की जाती है। कोलकाता के अलीपुर, हैदराबाद के सैफाबाद और चेरलापल्ली, और यूपी के नोएडा में। इस act के मुताबिक भारत सरकार ₹1000 तक का coins issue कर सकती है।

आरबीआई उतना नोट क्यों नहीं छाप लेता जितने कि उसे जरूरत है?

अब आपका अगला सवाल यह है कि अगर आरबीआई और सरकार के पास यह अधिकार है कि वह जितना चाहे उतना नोट छाप सकते हैं तो आखिर आरबीआई उतना नोट क्यों नहीं छाप लेता जितने कि उसे जरूरत है?

इसके लिए आपको एक बात समझनी होगी। जो नोट आपके हाथ में है वह महज एक कागज का टुकड़ा है। लेकिन जैसे ही आरबीआई गवर्नर उस कागज के टुकड़े पर सिग्नेचर कर देता है उस कागज़ के टुकड़े की value create हो जाती है।
और इसके साथ ही वह कागज का टुकडा RBI के लिए liability बन जाता है। 

लेकिन सोचने की बात यह है की RBI के पास ऐसा क्या है जिसके बदले में आरबीआई गवर्नर नोट पर प्रॉमिस करता है। तो इसका जवाब है कीमती धातु सोना और भारतीय रिजर्व बैंक का फॉरेन रिजर्व। यानी आरबीआई के पास जितना सोना और जितना फॉरेन रिजर्व है उतने के ही नोट आरबीआई issue कर सकता है और अगर आरबीआई ने इससे ज्यादा करेंसी issue की तो आरबीआई की करेंसी की वैल्यू गिर जाएगी और भारत की करेंसी का हाल भी वेनेज़ुएला की करेंसी जैसा ही हो जाएगा जहाँ ₹100000 तक के नोट है लेकिन उनकी वैल्यू कौड़ियों के भाव है। यही कारण है कि currency की internal वैल्यू को maintain करने के लिए सरकार को संतुलन बना कर चलना होता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय करेंसी में एक नोट ऐसा भी है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के सिग्नेचर नहीं होते और ना ही उस पर लिखा होता है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया। शायद आप चोंक गए होंगे।

हम बात कर रहे हैं भारत के ₹1 के नोट की। जिस पर आरबीआई की जगह लिखा होता है गवर्नमेंट ऑफ इंडिया। क्योंकि इस नोट को छापने का अधिकार आरबीआई नहीं बल्कि भारत सरकार के हाथ में होता है।


इस नोट पर वित्त सचिव यानी finance secratery के सिग्नेचर होते हैं। और शायद यह आपको नहीं पता होगा कि ₹1 का नोट अकेला ऐसा कागज का नोट है जिसे लायबिलिटी नहीं बल्कि asset (परिसम्पत्ति) समझा जाता है क्योंकि इसे ₹1 का सिक्का ही माना जाता है। यही कारण है कि इस नोट पर प्रॉमिस नहीं किया जाता है।

भारतीय रिजर्व बैंक के पास कितना सोना है

पहले हमने gold की बात की थी की कैसे रुपए छापने के लिए गोल्ड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तो चलिए लगे हाथ यह भी जान लेते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक के पास कितना सोना है। वर्ल्ड गोल्ड कौंसिल के जारी किए गए डेटा के मुताबिक गोल्ड के मामले में भारत दुनिया भर के सभी देशों की list में 10 वें नंबर पर आता है।

भारत के पास 612.6 टन गोल्ड है। यानी 612000 किलो सोना। आरबीआई ने साल 2019 में 52.3 टन सोना खरीदा था इसके बाद ही भारत गोल्ड reserve के मामले मे 11 वें स्थान से 10 वें स्थान पर पहुंच गया है। Latest data की बात करे तो आरबीआई के पास total forign exchange का 6.1% हिस्सा गोल्ड holding मे है।

आरबीआई अपने गोल्ड को भारत ही नहीं विदेशों में भी सुरक्षित रखता है। भारत की बात की जाए तो आरबीआई की नागपुर Branch खजाने का काम करती है क्योंकि आरबीआई का ज्यादातर खजाना इसी Branch में रखा गया है। अगर विदेशों की बात की जाए तो आरबीआई का कुछ gold "बैंक ऑफ इंग्लैंड" में भी पड़ा है।

विदेशों में गोल्ड रखने की बात सुनकर ज्यादातर लोग यह भी सोच लेते हैं कि कहीं आरबीआई ने अपना सोना गिरवी तो नहीं रख दिया है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। ज्यादातर रिजर्व बैंक आम तौर पर ये practice अपनाते रहते हैं क्योंकि इससे उनका गोल्ड रिजर्व सुरक्षित रहता है।

अब International monetary fund (IMF) को ही ले लीजिए, जिससे दुनियाभर के सभी रिजर्व बैंक सोना खरीदते हैं। इस आईएमएफ का भी कुछ गोल्ड भारत के रिजर्व बैंक में सुरक्षित रखा गया है।

तो अब तक हमने बात की है की कैसे आरबीआई रुपए की वैल्यू क्रिएट करने के लिए उतना नोट ही छापता है जितना कि उसके पास ऐसेट है। लेकिन रुपए की वैल्यू क्रिएट करने के साथ-साथ आरबीआई को रुपए की वैल्यू को maintain भी करना होता है। जिसके लिए सबसे बड़ी बाधक होती है महंगाई। इसलिए महंगाई को कंट्रोल करने में भी आरबीआई एक बड़ी भूमिका निभाता है।
अब RBI यह सब करता कैसे हैं इसके लिए आपको महंगाई का कारण समझना होगा।

यहां पर डिमांड और सप्लाई का नियम लागू होता है। जिस चीज की डिमांड ज्यादा है और सप्लाई कम तो जाहिर सी बात है वह चीज महंगी मिलेगी। लेकिन जिस चीज की डिमांड कम है और सप्लाई ज्यादा है तो वह चीज सस्ती मिलेगी।

महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई भी इसी सिद्धांत का इस्तेमाल करता है। आरबीआई इसके लिए अपनी मॉनिटरी पॉलिसी का सहारा लेता है। 

अगर मार्केट में पैसा ज्यादा होगा तो लोगों की परचेसिंग पावर भी बढ़ जाएगी। जिससे ₹2 की चीज लोग ₹4 में भी खरीदने को तैयार रहेंगे। लेकिन अगर मार्केट में पैसे का inflow कम कर दिया जाए तो लोगों की परचेसिंग पावर भी कम हो जाती है। जिससे लोग कम खरीदते हैं इससे चीजों की डिमांड भी कम हो जाती है। जिससे महंगाई नियंत्रण में आ जाती है। इसके लिए आरबीआई रेपो रेट और cash reserve ratio (CRR) को बढ़ा देता है जिससे मार्केट मे cash inflow और बैंक लोन को regulate किया जाता है। आईये इसे और आसानी से समझने की कोशिश करते है।

अगर रेट बढ़ जाएगा तो बैंक जो आगे लोन देते हैं उसका Interest भी बढ़ जाएगा यानी लोगों को higher Interest पर लोन मिलेगा और वहीं अगर CRR बढ़ जाएगी तो बैंकों को आरबीआई के पास ज्यादा पैसा रखना होगा। यानी बैंकों के पास कैश की कमी हो जाएगी। जिसके चलते अगर बैंकों के पास पैसा कम होगा तो वह आगे भी पैसा कम ही दे पाएंगे। जिसका असर होगा कि मार्केट में पैसे का inflow कम हो जाएगा। यानी लोगों के पास अगर पैसा कम होगा तो उनकी parchesing पावर कम हो जाएगी। जिससे महंगाई खुद-ब-खुद कंट्रोल में आ जाएगी। 

इसमें भी आरबीआई को संतुलन बनाकर चलना होता है। डिमांड कहीं इतनी भी ना कम हो जाए कि economy ना down हो जाए और महंगाई कहीं इतनी भी ना बढ़ जाए की आम आदमी का जीना मुहाल हो जाए।

आरबीआई पैसा कहां से कमाता है? 

अब बात करते हैं सबसे अहम सवाल के बारे मे कि आखिर इन सभी ऑपरेशन को करते हुए आरबीआई पैसा कहां से कमाता है जो आगे सरकार को दिया जाता है।

RBI की कमाई के कई साधन हैं। इसमे से एक है ओपन मार्केट ऑपरेशंस। अब आप यह सोच रहे होंगे कि यह होता क्या है? असल में आरबीआई बैंकों से Bond खरीदता है और इसके बदले में आरबीआई उन्हें कुछ पैसा देता है। जिससे इकोनामी में पैसा घूमता रहता है और इन bond से आरबीआई Interest भी कमाता है और इन bond की वैल्यू बढ़ने पर आरबीआई को profit भी होता है।

इसके अलावा आरबीआई foreign exchange में भी डील करता है। यानी आरबीआई सस्ते में डॉलर खरीदता है और उसे महंगे रेट पर बेच कर profit कमाता है।

यही नहीं आरबीआई बैंकों को भी पैसा उधार देता है जिसके बदले में RBI उनसे interest चार्ज करता है। इसे आसानी से समझे तो आरबीआई बैंकों का भी बैंक होता है। यानी किसी भी बैंक को अगर पैसे की जरूरत होती है तो वह आरबीआई से मांग लेता है और उसके बदले में वह आरबीआई को Interest pay करता है।
इसी Interest को रेपो रेट कहा जाता है।

तो यह हैं आरबीआई के income के कुछ मुख्य source। लेकिन यहां पर एक बात और ध्यान देने वाली है कि आरबीआई का काम पैसा कमाना बिल्कुल नहीं है, आरबीआई का काम रुपए की वैल्यू को maintain रखना है। 

अपनी monitry policy को दुरुस्त रखने के लिए RBI जो action लेता रहता है उसी दौरान यह profit बनता चला जाता है। RBI इसी पैसे मे से अपने खर्चे निकालता है और कुछ पैसा reserve मे डाल देता है और बाकी बचे हुए पैसे को dividend के तौर पर भारत सरकार को दे देता है। असल में आरबीआई अपने इन सभी कामों के जरिए एक ही चीज करने की कोशिश करता है और वह है लोगों में economy को लेकर विश्वास पैदा करना। लोगों को hope देना की उनका आने वाला भविष्य सुनहरा होगा। और इस भविष्य को सुनहरा बनाने के लिए एक संस्था तत्परता से काम कर रही है और उस संस्था का नाम है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया


Conclusion


आज के इस article मे हम ने RBI के बारे मे complete information हिंदी मे दी है। जिसमे बहुत सारे topics जैसे

👉RBI क्या है?
👉RBI का पुराना नाम क्या है?
👉आरबीआई का प्रतीक क्या है?
👉RBI का full form क्या है?
👉RBI का मुख्यालय कहाँ है?
👉RBI की स्थापना कब और किसने की?
👉आरबीआई के गवर्नर
👉आरबीआई के कार्य (Functions of RBI) :

शामिल हैं। इसमे RBI के function को details मे बताया गया है। फिर भी यदि आपके पास "RBI क्या है और कैसे काम करता है। जाने RBI से जुड़ी पूरी जानकारी हिंदी मेके बारे में अधिक जानकारी है या आप दी गई जानकारी में कुछ गलत पाते हैं, तो तुरंत हमें एक  कमेंट लिखें और हम इसे अपडेट करते रहेंगे।

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1 Comments

  1. Super se bhi upar ek dam basic se sab clear ho gaya thanks alot

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