Abraham Lincoln Biography In Hindi - अब्राहम लिंकन की जीवनी

Abraham Lincoln Biography In Hindi- अब्राहम लिंकन की जीवनी / मेरे प्रिय दोस्तों, कैसे हैं आप सब लोग। आज के इस पोस्ट मे हम पढ़ेंगे Abraham Lincoln Biography In Hindi यानी अब्राहम लिंकन की जीवनी। 


Abraham Lincoln Biography In Hindi- अब्राहम लिंकन की जीवनी


Abraham Lincoln Biography In Hindi - अब्राहम लिंकन की जीवनी


अब्राहम लिंकन ने अपने जीवन मे बहुत सारी कठिनाईयां झेली है और सफल हुए हैं। उनके जीवन की बहुत सारी प्रेरणादायक बातें है, जिसे पढ़ कर हम सब भी प्रेरणा हासिल कर सकते हैं।


इसीलिए आज के इस लेख मे हम सब जानने वाले हैं, अब्राहम लिंकन की प्रेरणादायक जीवनी (Abraham Lincoln biography in Hindi).



हार मानो नहीं तो कोशिश बेकार नहीं होती, 

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। 


दोस्तों आज मैं बात करने जा रहा हूं अमेरिका के अब तक के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की, जिन्होंने अमेरिका सहित पूरे विश्व में दास प्रथा को खत्म करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन उन्होंने जिन संघर्षों के बाद यह मुकाम हासिल किया था, मुझे नहीं लगता कि उनके अलावा यह किसी और के बस की बात होगी। 


अब्राहम लिंकन का बचपन इतनी गरीबी में बीता की उनके पूरे परिवार को एक घर के लिए दर-दर ठोकरें खानी पड़ी। उनके पिता के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह अब्राहम को स्कूल भेज सकें।


लोगों से मांगे हुए किताबों से अब्राहम ने पढ़ाई की। अपना पेट पालने के लिए उन्होंने बचपन से ही मजदूरी करना स्टार्ट कर दिया। 


9 साल की उम्र में उन्होंने अपनी मां को खो दिया। जिस लड़की से प्रेम किया और शादी करना चाहते थे, उसकी भी मृत्यु हो गई। 


दास प्रथा के खिलाफ लड़ने के लिए चुनाव की तरफ रुख किया तो कई बार हार का सामना करना पड़ा। 


उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा भी था जब चाकू से वह दूर रहते थे क्योंकि वह अपने आप से इतने हार गए थे कि उन्हें डर था, की कहीं खुद को न मार ले। 


लेकिन दोस्तों कहते हैं न - 

हार मानो नहीं तो कोशिश बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।


अपने संघर्षों के दम पर उन्होंने अमेरिका के सलामी राष्ट्रपति का चुनाव जीता और अमेरिका को उसकी सबसे बड़े संकट अमेरिकन सिविल वार यानी अमेरिकी गृह युद्ध से पार लगाया और दास प्रथा को जड़ से खत्म कर दिया। 


दोस्तों आइए गरीबी से लेकर वाइट हाउस तक का सफर तय करने वाले अब्राहम लिंकन के बारे में हम विस्तार से जानते हैं। 


अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 को अमेरिका के कैंट कि राज्य में हार्डिन काउंटिंग नाम की एक जगह पर हुआ था। उनके पिता का नाम थोमस लिंकन और मां का नाम नैंसी लिंकन था। 


उनका पूरा परिवार बहुत ही गरीब था और खुद के बनाए हुई एक लकड़ी के मकान में रहता था। अब्राहम लिंकन के अलावा उनकी एक बड़ी बहन भी थी जिसका नाम सारा था। थॉमस और नैन्सी को अब्राहम के बाद एक और पुत्र हुआ लेकिन बचपन में ही उसकी मृत्यु हो गई। 


लिंकन के पिता थॉमस एक किसान थे और साथ ही साथ में वह बढ़ई का भी काम करते थे। अब्राहम के जन्म के 2 सालों के बाद ही जमीन के विवाद की वजह से लिंकन परिवार को वह जगह छोड़ना पड़ा। 


जिसके बाद 1811 में वे वहां से 13 किलोमीटर उत्तर की तरफ knob creek farm रहने आ गए और वहां पर उन्होंने जमीन को खेती के लायक बना कर काम करना शुरू किया। लेकिन कुछ समय के बाद यहाँ पर भी उन्हें जमीनी विवाद झेलना पड़ा और फिर से उस जगह को भी छोड़कर जाना पड़ा। 


इसके बाद 1816 मे लिंकन परिवार इंडियाना की ओहियो नदी के किनारे आकर बस गया। यहाँ इन्होंने घने जंगल में खेती करना शुरू कर दिया।दोस्तों बता दूँ, यहां पर आज भी उनके घर और खेतों को एक स्मारक के रूप में सुरक्षित रखा गया है। 


अब्राहम लिंकन जब 6 साल के हुए तब उन्हें एक स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया। लेकिन घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्हें खेतों में काम करके अपने पिता का हाथ बटाना पड़ता था। उनके पिता भी कभी नहीं चाहते थे कि वह पढ़ाई लिखाई करें। इसी वजह से ना चाहते हुए भी, कुछ ही दिनों में अब्राहम को पढ़ाई छोड़ना पड़ा। हालांकि उन्हें पढ़ाई लिखाई का बहुत शौक था और वह दूसरों से किताबें लेकर, जब भी वक्त मिलता पढ़ने लगते थे। 


उसी बीच उनके जीवन में एक बहुत ही दुखद मोड़ तब आया, जब 5 अक्टूबर 1818 को अब्राहम की मां की मृत्यु हो गई। उस समय अब्राहम केवल 9 साल के थे। मां की मृत्यु के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी अब्राहम की बहन सारा पर आ गई। उस समय सारा भी केवल 11 साल की थी। 


1 साल बाद, घर की परेशानियों को देखते हुए थॉमस ने एक विधवा महिला से शादी कर ली। जिसका नाम सारह् बुश जॉनसन था। 


उस महिला के 3 बच्चे पहले से थे। अब्राहम को सौतेली मां ने उसकी सगी मां से भी ज्यादा प्यार दिया और कभी भी मां की कमी महसूस नहीं होने दी। साथ सी साथ सारह् बुश ने उनकी पढ़ाई लिखाई में पूरी सहायता की। अब्राहम भी अपनी सौतेली मां को बहुत मानते थे। 


राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा "मैं आज जो भी हूं, उसका पूरा श्रेय मेरी मां को जाता है।"


अब्राहम के पिता उससे बहुत ही क्रूर व्यवहार रखते थे और वह बिल्कुल भी नहीं चाहते थे कि वह पढ़ाई लिखाई करें। इसीलिए अब्राहम खुद का खर्च चलाने के लिए बचपन में सीखे हुए बढ़ई के काम का इस्तेमाल करके एक नाव बनाई और नाव का वाहक बनकर माल ढोने का काम शुरू कर दिया। 


साथ ही साथ वाह लोगों के खेतों में जाकर काम भी करते थे। कुछ समय उनकी एक दुकान में नौकरी लग गई और वहां उन्हें पढ़ाई का भी थोड़ा समय मिलने लगा। 


यहीं पर रहते हुए उन्होंने अपने खुद के दम पर बिना किसी कॉलेज के Law की पढ़ाई शुरू कर दी। Law के पढ़ाई के समय ही उन्हें एक बार पता चला कि नदी के दूसरी तरफ कि गांव में एक रिटायर्ड जज रहते हैं जिसके पास Law की बहुत सारी किताबें हैं। 


लिंकन ने यह तय किया कि वे उस जज के पास जाएंगे और उसे रिक्वेस्ट करेंगे कि वे अपने किताबों की कलेक्शन को उन्हें भी पढ़ने दे। 


Abraham Lincoln Biography In Hindi- अब्राहम लिंकन की जीवनी


उन दिनों बहुत ही कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। लेकिन लिंकन ने बिना किसी परवाह के बर्फीली नदी में अपनी नाव उतार दी। थोड़ी दूर जाने पर उनका नाव एक बर्फ से टकरा गया और वहीं पर टूट गया। 


फिर भी लिंकन ने हार नही मानी और तैरते हुए नदी को पार कर उस जज के घर पहुंच गए और उनसे किताबों को पढ़ने की रिक्वेस्ट की। 


रिटायर्ड जज ने अब्राहम की लगन को देखते हुए, उन्हें अपनी सारी किताबों को पढ़ने की अनुमति दे दी। लेकिन उस समय उनके घर पर काम करने वाला नौकर छुट्टी पर था। इसीलिए उन्होंने लिंकन को अपने घर के कामों को करने के लिए कहा। जिसे लिंकन ने भी खुशी-खुशी स्वीकार कर ली। 


वे उस रिटायर्ड जज के घर के लिए जंगल से लकड़ियां चुन कर लाते, उनकी जरूरत का पानी भरते, साथ ही साथ घर का हर काम करते थे। और पारिश्रमिक के नाम पर उन्हें मात्र पुस्तक बढ़ने की छूट थी। 


लेकिन लिंकन इससे भी बहुत खुश थे। कुछ समय के बाद वह एक गांव में पोस्ट मास्टर बन गए। जिसके कारण लोग उन्हें जानने लग गए थे और उनका सम्मान करने लगे। 


अब अब्राहम लिंकन ने स्थानीय लोगों की परेशानी को देखते हुए राजनीति में घुसने का सोचा। क्योंकि उस समय दास प्रथा चरम पर था। लिंकन को शुरू से गुलामों पर हो रहे अत्याचारों से सख्त नफरत थी और वह दास प्रथा को खत्म करना चाहते थे। 


इसी विचार के साथ उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और विधायक का चुनाव लड़ा। लेकिन उस चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। उधर चुनाव लड़ते समय उन्होंने पोस्ट मास्टर की नौकरी छोड़ दी थी, जिससे उनके पास पैसों की बहुत कमी हो गई। 


अब्राहम लिंकन वैसे तो महिलाओं से दूर ही रहते थे। लेकिन 24 साल की उम्र में उन्हें रूटलेज नाम की एक लड़की से बेपनाह मोहब्बत हो गई, लेकिन दुर्भाग्य से कुछ दिनों के बाद ही रूटलेज की एक गंभीर बीमारी से मृत्यु हो गई। 


रूटलेज की मृत्यु से अब्राहम को गहरा सदमा पहुंचा था और वह घंटो घंटो तक अपनी प्रेमिका की कब्र के पास बैठकर आंसू बहाया करते थे। 


अब्राहम लिंकन के जीवन में सब कुछ उनके खिलाफ चल रहा था। लिंकन का एक समय ऐसा भी था कि वह अपनी जिंदगी से इतना निराश हो चुके थे कि वह चाकू से दूर रहते थे क्योंकि उन्हें डर था कि वह खुद को ना मार ले। 


उस समय उनके एक मित्र पॉलिन ग्रीन ने उनका मनोबल बढ़ाया और उनको डिप्रेशन से बाहर निकाला। अपने दोस्त की मदद लिंकन फिर से विधायक का चुनाव लड़े और इस बार वह चुनाव जीत गए। 


जीत के बाद उनकी गिनती सबसे युवा विधायकों में की जाने लगी और फिर धीरे-धीरे उन्होंने युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया। अब विधानसभा में वह खुलकर बोलते थे जिसकी वजह से वहाँ भी उनकी बातों को महत्व दिया जाने लगा। 


उनके द्वारा स्प्रिंगफील्ड को नई राजधानी बनाने के मुद्दे पर सरकार को उनकी बातें माननी पड़ी थी। अब्राहम लिंकन को अब वकील बनने के लिए लाइसेंस मिल गया था और उनकी मुलाकात एक मशहूर वकील स्टूअर्ड से हुई। 


वे दोनों एक दूसरे के साथ मिल कर काम करने लगे। कुछ दिनों तक काम करने के बाद स्टूअर्ड ने उनका साथ छोड़ दिया और अब्राहम वकालत में भी असफल हो गए। क्योंकि वह गरीबों के केस लड़ने के लिए पैसे नहीं लेते थे और पूरा जीवन कभी भी झूठा मुकदमा नहीं लड़ा।


लेकिन उन्होंने असफल ही सही 20 सालों तक वकालत की। क्योंकि उस काम को करने पर उन्हें मानसिक शांति मिलती थी। दोस्तों उनके वकालत के दिनों की बहुत सारी कहानियां उनकी ईमानदारी और सज्जनता की गवाही देते हैं। 


लिंकन और उनके एक सहयोगी वकील ने एक बार किसी मानसिक रोगी महिला की जमीन पर कब्जा करने वाले एक दबंग आदमी को अदालत से सजा दिलवाई। मामला अदालत में केवल 15 मिनट तक ही चला। जिसके बाद सहयोगी वकील ने महिला के भाई से पूरी fee ले ली। 


उसके बाद उस वकील ने अब्राहम से खुशी-खुशी बताया कि उस महिला ने पूरी fee चुका दी है और वह अदालत के निर्णय से बहुत खुश हैं। 


लेकिन लिंकन ने तुरंत कहा कि मैं खुश नहीं हूं। वह पैसा एक रोगी महिला का है और मैं ऐसा पैसा लेने के बजाय भूखे मरना पसंद करूंगा। अगर तुम्हें अपनी fee चाहिए तो तुम ले लो, लेकिन मेरे हिस्से के पैसे उसे तुरंत वापस कर दो। 


1842 में लिंकन ने मैरी नाम की एक लड़की से शादी कर ली। मैरी ने एक के बाद एक चार बेटों को जन्म दिया। लेकिन उनमें से 1843 में जन्मा केवल रॉबर्ट ही जीवित रह सका और बाकी सभी बच्चों की बचपन में ही मृत्यु हो गई। 


1860 में लिंकन संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़े और आखिरकार अमेरिका के 16 वें राष्ट्रपति बनकर उन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी सफलता हासिल की। 


6 नवंबर 1860 को अमेरिका के 16 वें राष्ट्रपति बनने के बाद लिंकन ने ऐसे महत्वपूर्ण कार्य किए जिनका राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय महत्व भी है। 


लिंकन की सबसे बड़ी उपलब्धि अमेरिका को गृह युद्ध से उभारना था। अमेरिका के संविधान में संशोधन द्वारा दास प्रथा के अंत का श्रेय भी लिंकन को ही जाता है। 


14 अप्रैल 1865 को राष्ट्रपति लिंकन और उनकी पत्नी वाशिंगटन डीसी मे फूड थिएटर में एक नाटक देखने आए हुए थे। जहां एक मशहूर अभिनेता जॉन बिलकिस ने उन्हें गोली मार दी और अगले ही दिन 15 अप्रैल 1865 को अब्राहम की मौत हो गयी।


अब्राहम लिंकन ने जिन संघर्षों के बाद इतनी बड़ी सफलता हासिल की उससे हमें यही सीख मिलती है कि जिंदगी में अगर कुछ पाना है तो हमें कभी हार ना मानने वाली सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा।


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प्रिय दोस्तों, ये था अब्राहम लिंकन की प्रेरणादायक जीवनी। मुझें उम्मीद है की आपको Abraham Lincoln Biography In Hindi यानी अब्राहम लिंकन की जीवनी पढ़कर अच्छा लगा होगा। और अब्राहम लिंकन की जीवनी ने आपको प्रेरित किया होगा। 


यदि आपको आज के इस पोस्ट Abraham Lincoln Biography In Hindi- अब्राहम लिंकन की जीवनी से संबंधित कोई सवाल या सुझाव है तो comment मे जरूर लिखे, और अब्राहम लिंकन के प्रेरणादायक जीवनी को अपने दोस्तों के साथ share करना ना भूले।


धन्यवाद

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