Bharti Bhawan Class 10th Chemistry Chapter 2 Long Answer Questions | दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Bharti Bhawan Class 10th Chemistry Chapter 2 Long Answer Questions

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


1.  गृह निर्मित सूचक आप कैसे बनायेंगे? 

उत्तर:-

हल्दी (Turmeric):- इसका रंग पीला होता है और यह एक प्राकृतिक सूचक होता है। हल्दी के रंग पर अम्ल (Acid) का कोई प्रभाव नहीं होता है लेकिन, क्षार (Base) हल्दी के पीले रंग को भूरा या लाल रंग में बदल देता है। जैसे:- अगर कपड़े पर हल्दी का पीला रंग लग गया हो और उसे साबून से धोते है तो उसका रंग बदलकर रेडिश ब्राउन (Reddish Brown) हो जाता है। चुकिं, साबुन में क्षार (Base) होता है इसलिए यह हल्दी के पीले रंग को बदलकर रेडिश ब्राउन कर देता है। 

छ्न्ना पत्र (Filter paper) को हल्दी के घोल में डुबोकर तथा सुखाकर हल्दी पेपर (Turmeric paper) तैयार किया जाता है। इसका उपयोग लिटमस पेपर की तरह अम्ल (Acid) या क्षार (Base) की पहचान के लिए किया जा सकता है।



2. प्राकृतिक सूचक क्या होती है? इनसे अम्ल तथा भस्म की जांच कैसे की जाती है? 

उत्तर:- 

अम्ल तथा भस्म कुछ रंजकों के रंग में परिवर्तन करने में सक्षम होते हैं। इनमें से एक रासायनिक सूचक लिटमस है जिसे थैलोफाइटा वर्ग के लाइकेन पौधे से निकाला गया गुलाबी रंग का उदासीन अर्क होता है। लिटमस अम्लीय विलयन में लाल रंग देता है तथा क्षारीय विलयन में नीला रंग देता है। फिल्टर पेपर के टुकड़े को लिटमस के अम्लीय तथा क्षारीय विलयन में डालकर सुखा लिया जाता है जिससे नीला लिटमस पत्र तथा लाल लिटमस पत्र प्राप्त होता है। किसी विलयन में यदि नीला लिटमस पत्र लाल हो जाता है तो विलयन अम्लीय कहलाता है और यदि लाल लिटमस पत्र नीला हो जाता है तो विलयन क्षारीय कहलाता है। 

लिटमस एक प्राकृतिक सूचक है। साथ ही हल्दी भी एक प्राकृतिक सूचक है। अन्य प्राकृतिक पदार्थ जैसे- लाल गोभी का पत्ता, कुछ फूलों के पत्ते (पिटूनिया तथा जेरेनियम) आदि के विलयन भी अम्ल तथा क्षार की उपस्थिति को दर्शाने में सक्षम होते हैं। इन्हें भी अम्ल भस्म सूचक के रूप में व्यवहार किया जा सकता है। किन्तु लिटमस को छोड़कर इन सबों का उपयोग प्रयोगशाला में नहीं हो पाता, क्योंकि ये पदार्थ हवा में उपस्थित आक्सीजन से धीरे धीरे नष्ट हो जाता है। वैसे रंजक, जिनका अम्ल तथा भस्म द्वारा रंग परिवर्तन होता है, उन्हें सूचक कहा जाता है।



3. अम्ल, भस्म और लवण क्या है? प्रत्येक का दो दो उदाहरण दें।

उत्तर:- 

अम्ल:

अम्ल वह पदार्थ है जिसका जलीय विलयन स्वाद में खट्टा होता है तथा धातु से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है।  जैसे - HCl, CH3COOH, H2SO4 इत्यादि अम्ल है। सभी अम्ल जल में घुलकर H+ आयन प्रदान करते हैं। 

2HCI   +    Fe  ------>  FeCl2  +   H2

अम्ल का जलीय विलयन विधुत का सुचालक होता हैं।

भस्म:

भस्म वह पदार्थ है जिसका जलीय विलयन स्वाद में कड़वा होता है तथा अम्ल को उदासीन कर लवण बनाता है। भस्म जल में घुलकर हाइड्राक्साइड (OH-) आयन देता है| जैसे- NaOH, KOH, NH4OH, Ba(OH)2, Ca(OH)2 इत्यादि। टूथपेस्ट भस्म होता है जो हमारे मुंह में उपस्थित अम्ल को उदासीन कर दांत की रक्षा करता है।  जल में विलेय भस्म को क्षार कहते है|

NaOH          -----H2O----->    Na+    +    OH-
KOH            -----H2O----->     K+      +    OH-


लवण:

अम्लों एवं भस्मों की अभिक्रिया के फलस्वरूप बने पदार्थ लवण कहलाते हैं। लवण में दो मूलक होते हैं। जो मूलक भस्म से प्राप्त होते हैं उसे भास्मिक मूलक कहते हैं। भास्मिक मूलक धन आवेशित होते हैं। जो मूलक अम्ल से हाइड्रोजन के विस्थापन के फलस्वरूप प्राप्त होता है। उन्हें अम्लीय मूलक कहते हैं। अम्लीय ऋण आवेशित होते हैं। 

NaCl, NaHSO4, Na2SO4, Na2PO4, CuSO4, NH4Cl  इत्यादि लवण है। 

    HCl     +       NaOH ----->  NaCl    +    H2O
हाइड्रोक्लोरिक    सोडियम          सोडियम       जल
   अम्ल             हाइड्राक्साइड    क्लोराइड
(अम्ल)                (भस्म)            (लवण) 


H2SO4     +      NaOH-------> NaHSO4  + H2O
  गंध                सोडियम            सोडियम         जल
अम्ल            हाइड्राक्साइड         सल्फाइड
(अम्ल)             (भस्म)               (लवण) 



4. लवण किसे कहते हैं? दो अम्लीय तथा दो सामान्य लवणों के नाम लिखें। 

उत्तर:-

लवण वह यौगिक है जो अम्ल और भस्म के अभिक्रिया से बनते हैं। जैसे -

HCl     +    NaOH    -------->   NaCl     +     H2O 
अम्ल           भस्म                      लवण             जल


H2SO4     +    NaOH    ------>   NaHSO4     +    H2O 
अम्ल                  भस्म                    लवण                 जल

इस प्रकार स्पष्ट होता है कि अम्ल और क्षारक के बीच की अभिक्रिया के फलस्वरूप जल के साथ बना दूसरा यौगिक लवण कहलाता है। लवण में दो मूलक विद्यमान होते हैं। एक मूलक क्षारक से प्राप्त होता है जिसे क्षारकीय मूलक कहते हैं| क्षारकीय मूलक धन आवेशित होते हैं। दूसरा मूलक अम्ल से हाइड्रोजन के विस्थापन के फलस्वरूप प्राप्त होता है जिसे अम्लीय मूलक कहते हैं। अम्लीय मूलक ऋण आवेशित होते हैं।


दो सामान्य लवण: सोडियम सल्फेट (Na2SO4) और पोटैशियम क्लोराइड (KCl) 

दो अम्लीय लवण: सोडियम बाइसल्फेट (NaHSO4) और सोडियम डाइहाइड्रोजन फास्फेट (NaH2PO4) 



5. उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है? उदाहरण देकर समझाएँ। 

उत्तर:-

अम्ल और भस्म की अभिक्रिया के फलस्वरूप लवण एवं जल बनते हैं। इसे उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।

उदाहरण:

NaOH  +  HCl     ------>      NaCl  +  H2O
या  (Na+) + (OH-) + (H+) + (Cl-)       ---->      NaCl + H2O

धन आवेशित Na+ आयन अम्ल के ऋणावेशित Cl- आयन से जुड़कर लवण NaCl बनता है तथा H+ और OH- आयन जुड़कर H2O बनाते हैं। चूँकि विलयन में H+ तथा OH- आयन नहीं पाए जाते , अतः विलयन न अम्लीय होता है और न क्षारीय, बल्कि उदासीन होता है। ऐसी अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं। 



6. अम्लों की शक्ति के बारे में आप क्या जानते हैं? किन किन तरीकों से अम्लों की शक्ति की तुलना की जा सकती है? 

उत्तर:-

अम्लों की शक्ति को निम्न रूप में माना जा सकता है-

प्रबल और दुर्बल अम्ल:

अम्ल के जलीय विलयन में अम्ल द्वारा प्रदत्त हाइड्रोजन आयनों की मात्रा से इसकी अम्लीय शक्ति का निर्धारण होता है। वे अम्ल जो जल में घुलकर लगभग पूर्णतः आयनित होकर हाइड्रोजन आयन (H+) प्रदान करते हैं, प्रबल अम्ल कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl), नाइट्रिक अम्ल (HNO3) और सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) प्रबल अम्ल है। दूसरी ओर वे अम्ल जो जल में घुलकर सिर्फ आंशिक रूप में आयनित होते हैं, दुर्बल अम्ल कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, कार्बोनिक अम्ल (H2CO3), ऐसीटिक अम्ल (CH3COOH) आदि दुर्बल अम्ल है।

सांद्र और तनु अम्ल:

विलयन में उपस्थित अम्ल की मात्रा के अनुसार अम्ल, सांद्र और तनु हो, सकते हैं। जब विलयन में अम्ल की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक रहती है, तो उसे सांद्र विलयन कहा जाता है। दूसरी ओर, जब विलयन में अम्ल की मात्रा अपेक्षाकृत कम रहती है, तो उसे तनु विलयन कहा जाता है। अत: सांद्र विलयन में जल की मात्रा कम से कम रहती है, जबकि तनु विलयन में जल की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक रहती है।



7. अम्ल तथा क्षार के आरहेनियस सिद्धांत की व्याख्या करें। इस सिद्धांत की सीमाओं का भी उल्लेख करें। 

उत्तर:-

अम्ल: अम्ल वे पदार्थ हैं जो जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन (H+) प्रदान करते हैं। जैसे HCL, H2SO4, HNO3, CH3COOH आदि अम्ल हैं क्योंकि ये जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन (H+) प्रदान करते हैं। 

HCl  ---> (H+) + (Cl-)
H2SO4 ---> 2(H+) + (SO4)2-

भस्म: भस्म वे पदार्थ हैं जो जल में घुलकर हाइड्रोक्साइड (OH-) आयन प्रदान करते हैं। जैसे NaOH, KOH, NH4OH, Ca(OH)2 आदि भस्म हैं, क्योंकि ये जल में घुलकर हाइड्रोक्साइड (OH-) प्रदान करते हैं। 


NaOH ------> (Na+)  +  (OH-)

NH4OH ------> (NH4+)  +  (OH-)

सीमाएँ: यह सिद्धांत जलीय विलयन में अम्ल क्षारक संबंधी अनेक गुणों की सफल व्याख्या करता है। किंतु, यह दूसरे अजलीय विलायकों (जैसे - तरल अमोनिया, तरल SO2 आदि) में अम्ल क्षारक संबंधी गुणों की व्याख्या करने में बुरी तरह असफल हो जाती है। यह सिद्धांत पदार्थों की उभयधर्मिता के गुणों की भी व्याख्या नहीं कर पाती है।



8. इनकी पुष्टि करें ।

(i). NH4Cl का जलीय विलयन अम्लीय होता है। 

उत्तर:-

NH4Cl प्रबल अम्ल तथा दुर्बल भस्म से बनते हैं। इसलिए इसका जलीय विलयन हल्का अम्लीय होता है। तथा इस विलयन का pH मान 7 से कम होता है। 

(ii). CH3COONa का विलयन क्षारीय होता है। 

उत्तर:-

CH3COONa दुर्बल अम्ल तथा प्रबल भस्म से बना होता है जो क्षारीय विलयन देता है तथा इस विलयन का pH मान 7 से अधिक होता है। 

(iii). Na2SO4 का विलयन उदासीन होता है। 

उत्तर:-

Na2SO4 प्रबल अम्ल तथा प्रबल भस्म से बना है जो उदासीन विलयन देता है तथा इस विलयन का pH मान 7 होता है। 



9. दैनिक जीवन में pH का महत्व बताएं। 

उत्तर:- 

I. मानव और जंतु जगत में:

हमारे शरीर की अधिकांश क्रियाएँ 7.0 से 7.8 pH परास के बीच काम करती है| हम इसी संकीर्ण परास में ही जीवीत रह सकते हैं। हमारे रक्त, आंसुओं, लार आदि का pH लगभग 7.4 होता है। यदि यह 7.0 से कम होता है या 7.8 से बढ़ता है तो जीवन असंभव सा हो जाता है। वर्षा के जल से pH का मान जब 7 से कम होकर 5.6 हो जाता है तो उसे अम्लीय वर्षा कहते हैं। अम्लीय वर्षा का जल जब नदियों में बहता है तो नदी के जल का pH का मान कम हो जाता है जिस कारण जलीय जीवधारियों का जीवन कठिन हो जाता है। 

II. पेड़ पौधों के लिए:

पेड़ पौधों की अच्छी वृद्धि और अच्छी उपज के लिए मिट्टी के pH परास की विशेषता बनी रहनी चाहिए। यदि यह अधिक अम्लीय या क्षारीय हो जाए तो उपज पर कुप्रभाव पड़ता है|

III. पाचन तंत्र:

हमारे पेट में HCl उत्पन्न होता रहता है जो हमें बिना हानि पहुंचाए भोजन के पाचन में सहायक होता है। अपच की स्थिति में इसमें अम्ल की मात्रा अधिक बनने लगती है जिस कारण पेट में दर्द और जलन अनुभव होता है। इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए एण्टासिड जैसे क्षारकों का प्रयोग करना पड़ता है।

IV. दंत क्षय:

हमारे मुंह के pH का मान 5.5 से कम होने पर दांतों का क्षय शुरू हो जाता है| हमारे दांत कैल्सियम फास्फेट से बने होते हैं जो शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है। यह जल में नहीं घुलता पर मुंह की pH का मान 5.5 से कम होने पर नष्ट होने लगता है। मुंह में उपस्थित जीवाणु, अवशिष्ट शर्करा और खाद्य पदार्थों के निम्नीकरण से अम्ल उत्पन्न होते हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए क्षारीय दंत मंजन का प्रयोग किया जाना चाहिए। इससे अम्ल की अधिकता उदासीन हो जाती है और दांत क्षय से रोके जा सकते हैं।

V. अम्ल के प्रयोग से बर्तनो के धब्बों को दूर करना: 

कॉपर के बर्तनों पर भास्मिक कॉपर ऑक्साइड की परत जम जाने के कारण चमक बदरंग हो जाती है। चूँकि निम्बू के रस में सिट्रिक अम्ल रहता है, अतः बर्तन की सतह को निम्बू के एक टुकड़े से रगड़कर साफ़ कर देने से बर्तन की चमक वापस लोट आती है। 



10. अम्लों के पांच गुणों का उल्लेख करें। 

उत्तर:-

अम्ल के पांच गुण निम्नलिखित है। 

(I) - इनका स्वाद खट्टा होता है। 
(II) - ये नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं। 
(III) - ये धातुओं के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनाते हैं। 
(IV) - ये कार्बोनेट के साथ क्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करते हैं। 
(V) - अम्ल, क्षारकों से क्रिया करके लवण और पानी बनाते हैं। 



11. भस्म के पांच गुणों का उल्लेख करें। 

उत्तर:-
 
भस्म के पांच गुण निम्नलिखित हैं। 

(I) - इनका स्वाद कड़वा होता है। 
(II) - ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। 
(III) - ये हल्दी के रंग को भूरा लाल कर देते हैं। 
(IV) - ये अम्लों के साथ अभिक्रिया करके लवण तथा पानी बनाते हैं। 
(V) - ये फिनाल्फ्थैलीन के घोल को गुलाबी कर देते हैं। 



12. ब्लीचिंग पाउडर का रासायनिक सूत्र लिखें। ब्लीचिंग पाउडर को किस प्रकार बनाया जाता है? कागज बनाने की फैक्टरियों में ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग किस कार्य के लिए होता है? 

उत्तर:-

ब्लीचिंग पाउडर या विरंजक चूर्ण का रासायनिक सूत्र Ca(OCl) Cl होता है| शुष्क बुझे हुए चुने [Ca(OH)2] को 40°C तक तप्त कर उसके ऊपर क्लोरीन गैस प्रवाहित करने पर विरंजक चूर्ण प्राप्त होता है।

Ca(OH)2    +     Cl2    ---- गर्म करने पर ---->      Ca(OCl)Cl    +     H2O
बुझा चूना           क्लोरीन                                       विरंजक चूर्ण


यह सफेद रंग का होता है।  इससे क्लोरीन की गंध निकलती है|


विरंजक चूर्ण का उपयोग -----

(a) कीटनाशक के रूप में, क्लोरीन, 
(b) क्लोरोफॉर्म आदि बनाने में,
(c) कागज एवं कपड़ों के विरंजन में

कागज बनाने वाली फैक्ट्रियों में ब्लीचिंग पाउडर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कराया जाता है। ब्लीचिंग पाउडर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर क्लोरीन गैस देता है| क्लोरीन का उपयोग कागज की फैक्टरियों में विरंजक के रूप में किया जाता है। 

Ca(OCl)      +     2HCl    ------>    CaCl2  +   H2O  + Cl
ब्लीचिंग पाउडर                        कैल्सियम क्लोराइड    क्लोरीन



13. 
(I). विरंजक चूर्ण का रासायनिक नाम तथा सूत्र लिखें। 
(II). हवा में खुला छोड़ने पर विरंजक चूर्ण से क्लोरीन की गंध क्यों आती है? 
(III). तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की विरंजक चूर्ण पर क्रिया दर्शाने के लिए रासायनिक समीकरण लिखें। 

उत्तर:-

(I). विरंजक चूर्ण का रासायनिक नाम ब्लीचिंग पाउडर है। इसका रासायनिक सूत्र Ca(OCl)Cl होता है। 

(II). हवा में विरंजक चूर्ण को खुला रखने पर क्लोरीन की गंध निकलती है।  यह अत्यंत अस्थायी यौगिक है। यह वायुमंडल से CO2 एवं आर्द्रता ग्रहण कर क्लोरीन गैस देता है। इस कारण क्लोरीन की गंध आती है।

Ca(OCl)Cl  +  CO2     ----->    CaCO3   +   Cl2 (gas)

(III). ब्लीचिंग पाउडर तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर कैल्सियम क्लोराइड तथा क्लोरीन गैस देता है।

Ca(OCl)Cl  +  2HCl     ---->      CaCl2  + H2O  + Cl2




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